लेह, भारतीय सेना की फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने 39वां सियाचिन दिवस पारंपरिक गम्भीरता के साथ मनाया। सीडीआर सियाचिन ब्रिगेड के कमांडर ने जनरल ऑफिसर कमांडिंग की ओर से पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने दुनिया के सबसे ऊंचे और ठंडे युद्धक्षेत्र को हासिल करने में उनके साहस और धैर्य को याद करने के लिए सियाचिन युद्ध स्मारक पर युद्ध नायकों को श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम के बाद सियाचिन ग्लेशियर पर सर्वाेच्च बलिदान देने वाले दिग्गजों, वीर नारियों और नागरिक सुरक्षा कर्मचारियों को सम्मानित किया गया।
शून्य तापमान, हिमस्खलन और खराब मौसम के कारण सियाचिन ग्लेशियर को सबसे चुनौतीपूर्ण युद्धक्षेत्र माना जाता है। 1984 में शुरू किए गए ऑपरेशन मेघदूत की शुरुआत के बाद से पिछले 39 वर्षों में 11 हजार से अधिक सैनिकों ने यहां अपना कर्तव्य निभाते हुए सर्वाेच्च बलिदान दिया है। साल्टोरो रिज के साथ भारतीय सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए यह ऑपरेशन शुरू किया गया था। भारतीय सेना ग्लेशियर के प्रमुख दर्रों और चोटियों की रखवाली कर रही है।
सियाचिन ग्लेशियर पाकिस्तान और चीन के साथ सीमा साझा करने वाली काराकोरम पर्वतमाला में लगभग 76 किलोमीटर तक फैला हुआ है। सियाचिन वॉरियर्स हमेशा फ्रोजन फ्रंटियर्स की रखवाली करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और सभी बाधाओं के खिलाफ संकल्प लेने के लिए तैयार हैं।
साभार -हिस