देहरादून,विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार उत्तराखंड प्रवास पर हैं। देहरादून प्रेस क्लब में शुक्रवार को कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने पत्रकारों से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज और सनातन के विरुद्ध जो भी प्रयास हो रहे हैं उनके पीछे मतों की राजनीति है। हम सबको इसे रोकना होगा। इस अवसर पर उनके साथ प्रदेश अध्यक्ष रवि देव आनंद तथा अन्य वरिष्ठ नेता उपस्थित थे।
अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष कुमार ने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि है। यहां जनसंख्या घनत्व परिवर्तित करना (डेमोग्राफिक चेंज) का जो प्रयास हो रहा है वह दुखद है। इस पर सरकार द्वारा किया जा रहा कार्य सराहना योग्य है।
आलोक कुमार ने कहा कि हिन्दू सबसे सहिष्णु और सनातन सबसे प्रभावी धर्म है, लेकिन इसी धर्म को समाप्त करने की कोशिश हो रही है जिसका परिणाम लैंड जिहाद, लव जिहाद जैसे कार्य हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को मैंने उनके सार्थक और प्रभावी प्रयासों के लिए बधाई दी है। उन्होंने कहा कि लैंड जिहाद के लिए बनाई गईं मजारें केवल भूमि हड़पने का हिस्सा हैं जिसके पीछे वह लोग हैं जो यहां के जनसंख्या परिवर्तन को प्रभावी बनाना चाहते हैं। तमाम मजारें ऐसी मिली हैं जहां मानव अवशेष नहीं मिले। यह इस बात का प्रमाण है कि इन मजारों के निर्माण के पीछे केवल लैंड जिहाद था। यह एक तरह का व्यापार है जहां के माध्यम से बहुसंख्यक समाज को हर तरह से लूटने की कोशिश हो रही है। इन मजारों पर बहुसंख्यक समाज के लोग जाते हैं, चढ़ावा चढ़ाते हैं लेकिन वहां लगने वाली दुकानें तथा अन्य व्यवस्थाएं सब उसी वर्ग के हाथों में है जो मजार निर्माता है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में तीन बातें निश्चित रूप से लागू होनी चाहिएं। उनमें लैंड जिहाद को दूर करना, गायों की पूजा करना तथा सामान्य नागरिक संहिता लागू होना यह समसामयिक आवश्यकता है। इन तीनों के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कितना दुर्भाग्य है कि ईसाई तथा मुस्लिम पंथ में जो हमारे दलित समाज के लोग गये हैं वह वहां भी आरक्षण चाहते हैं। इसके पीछे बड़ी-बड़ी संस्थाएं लगी हुई हैं।
उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज में वर्ण व्यवस्था है, यहां तो आरक्षण समझ में आता है लेकिन जहां वर्ण व्यवस्था ही नहीं है वहां किस बात का आरक्षण। उन्होंने कहा कि केवल हिन्दू समाज के पिछड़े, दलित तथा अन्य लोगों को आरक्षण मिलना चाहिए। मुस्लिम तथा अन्य समाज को आरक्षण देने का कोई औचित्य नहीं है।
राम चरित मानस विवाद पर चर्चा करते हुए विहिप अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष ने कहा कि राम चरित मानस सदियों से इस समाज का मानदंड स्थापित करने वाला ग्रंथ रहा है। जो लोग इस ग्रंथ को अपने षडयंत्र में घसीट रहे हैं वह न तो समाज के हितैषी हैं और न ही देश तथा प्रदेश के। इस षडयंत्र को हम सबको मिलकर असफल बनाना होगा। इसके पीछे मतों की राजनीति और समाज तोड़ने की भावना है। उन्होंने कहा कि समाज में कथाओं की भांति ही नायक और खलनायक दोनों होते हैं। नायक जहां मानदंड स्थापित करता है वहीं खलनायक व्यवस्था को छिन्न-भिन्न करने का काम करता है। भगवान राम ऐसे ही महानायक थे, जिन्होंने समाज के दबे, कुचले, पिछड़े लोगों को एकत्र कर सेना बनाई और रावण जैसे पराक्रमी को परास्त किया। इनमें बंदर, भालू, कोल, किरात, वनवासी, गिरिवासी सब शामिल थे। उन्होंने कहा कि हम सबको इन अव्यवस्थाओं के विरुद्ध आगे आना होगा।
उच्चतम न्यायालय में आरक्षण याचिका पर आलोक कुमार ने कहा कि यह ईसाई मिशनरियों तथा तथाकथित सैकुलरवादियों की चाल है, हम सबको इसको असफल करना होगा। अयोग्यों को आरक्षण नहीं मिलना चाहिए। मजारों पर पूछे गए प्रश्न पर उनका कहना था कि यह जमीनों पर अवैध कब्जा करने का एक प्रयास है। उत्तराखंड देवभूमि है जहां लैंड ग्रेविंग नहीं होने देना चाहिए। सरकार इस दिशा में कार्य कर रही है और जनसंख्या घनत्व परिवर्तित नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने इस अवसर पर कई अन्य बिन्दुओं पर भी चर्चा की।
साभार -हिस