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संघ ने राहुल को दी बोलने में सावधानी बरतने की सलाह
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आरएसएस समान-लिंग विवाह पर केंद्र के दृष्टिकोण से सहमत
समालखा/नई दिल्ली, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी स्थापना के 100वें वर्ष में प्रवेश करने से पूर्व चाहता है कि वह देश के सभी मंडलों तक शाखाओं का विस्तार कर दे। इसके लिए हरियाणा के सोनीपत में स्थित पट्टीकल्याणा में आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में विस्तार से चर्चा हुई है। उसके लिए आगामी वर्ष में कार्यकर्ताओं तक इसकी रूपरेखा भेजी जाएगी।
संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने ‘अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा’ के अंतिम दिन यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मंडल स्तर पर संघ की शाखाओं का विस्तार महत्वपूर्ण है। संघ का 2025 शताब्दी समारोह 2024 में विजयादशमी से शुरू होगा।
संघ कार्य के विस्तार को लेकर उन्होंने कहा कि पिछले कोविड के कालखंड में उसके कार्यक्रमों विशेषकर फील्ड के कार्यक्रमों जैसे शाखा आदि में थोड़ी कठिनाईयां आई थीं, लेकिन पिछले वर्ष में जिस तेज गति से काम हुआ है उससे प्रत्येक क्षेत्र में कम से कम नौ प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वह आगामी समय में इसको और विस्तार से और खासकर संघ ने यह विचार किया है कि वह अपने सामाजिक समरसता का अभियान जो वह पहले से चलाता आ रहा है उसको और गति देगा। समाज में छुआछूत और भेदभाव को दूर करने के लिए कार्यकर्ताओं को और सजग करेगा। इसके साथ ही वह पारिवारिक मूल्यों के लिए और कुटुम्ब प्रबोधन के कार्यक्रमों को और गति देगा। साथ ही साथ पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्य करेगा। लोक जागरण जो सामाजिक जीवन मूल्य हैं उनके प्रति लोगों को जागृत करेगा।
कुछ सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि यह बैठक पूरी तरह से सामाजिक ढांचे को चुस्त-दुरस्त रखने और भारत राष्ट्र और हिन्दू व भारतीय समाज को संगठित करने के लिए आयोजित थी। इसमें किसी भी प्रकार की राजनीतिक व अन्य प्रकार की चर्चा नहीं हुई।
राहुल गांधी को अधिक जिम्मेदारी से बोलना चाहिए
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के संघ संबंधी बयान पर होसबाले ने कहा कि एक राजनीतिक दल के वरिष्ठ नेता होने के नाते उन्हें (राहुल गांधी) अधिक जिम्मेदारी से बोलना चाहिए और समाज में संघ की स्वीकार्यता की वास्तविकता को देखना चाहिए। संघ की हकीकत सभी जानते हैं।
उन्होंने कहा, “वह अपने ‘राजनीतिक एजेंडे’ के लिए ऐसा कर रहे होंगे, लेकिन आरएसएस राजनीतिक क्षेत्र में काम नहीं करता है और संघ के साथ उनकी कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है।”
ब्रिटेन में राहुल गांधी की टिप्पणी पर पूछे गए सवालों के जवाब में होसबाले ने कहा, “जिन्होंने भारत को जेल में बदल दिया, उन्हें देश में लोकतंत्र पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है।”
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जो लोकतंत्र को खतरे में या लोकतंत्र नहीं होने के बारे में बात कर रहे हैं उन्हीं लोगों ने एक समय में देश में आपातकाल लगाया था, जिसका भुक्तभोगी मैं स्वयं रहा हूं। उस दौरान मैं जेल में रहा था। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने पूरे देश को लोकतंत्र से छीन लिया वे किस मुंह से इस समय लोकतंत्र की बात कर रहे हैं। यदि लोकतंत्र खतरे में होता तो आज देश में चुनाव नहीं हो रहे होते, संसद नहीं चल रही होती और इतनी बड़ी संख्या में आप लोग इस प्रकार के सवाल-जवाब भी नहीं कर रहे होते।
शाखा के इतर संघ के सभी आयामों में महिलाओं की प्रमुख भूमिका
एक विषय बार-बार चर्चा में आया था कि संघ की प्रतिनिधि सभा में महिलाओं के संघ में प्रवेश पर चर्चा की जाएगी। इसे स्पष्ट करते हुए होसबाले ने कहा कि शाखा संघ का एक बड़ा आयाम है वो विशुद्ध रूप से इस प्रकार का है कि जिसमें स्वयंसेवक सुबह या शाम के समय संघ स्थान पर जाते हैं। बाकी संघ के सभी प्रकार के कार्यक्रमों चाहे वो प्रचार विभाग, कुटुम्ब प्रबोधन हो, सेवा हो या अन्य प्रकार के कार्यक्रमों के नीति निर्माताओं व नीति निर्धारण करने वालों में महिलाओं की प्रमुख भूमिका रहती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले दिनों एक अनुभव आया उसके आधार पर हमने विचार किया है कि जहां भी शाखाएं लगती हैं वहां तीन माह में एक बार पूरे परिवार के साथ सहभोज, सांस्कृतिक कार्यक्रम और चर्चा आदि हो। इसमें परिवार के सभी सदस्य सम्मिलित हों। ऐसा करके एक प्रकार से संघ ने पूरे परिवार को साथ में जोड़ने का एक और नया आयाम दिया है।
संघ समान-लिंग विवाह पर सरकार के दृष्टिकोण से सहमत है
समलैंगिक विवाह पर उन्होंने बहुत स्पष्ट कहा कि विवाह एक संस्कार है। इस संस्कार में कोई आनंद के लिए साथ में रहने वाली बात नहीं है। यहां स्त्री और पुरुष का विवाह समाज को चलाने और परिवार को बढ़ाने के लिए होता है। उन्होंने कहा कि यह केवल विपरीत लिंग के व्यक्तियों के बीच हो सकता है। संघ समान-लिंग विवाह पर सरकार के दृष्टिकोण से सहमत है।
हमारे लिए कोई भी शत्रु नहीं, संवाद के माध्यम से सभी को एकजुट करना चाहता है संघ
मुस्लिम समाज से संवाद के विषय में उन्होंने कहा कि संघ के नेता मुस्लिम बुद्धिजीवियों और उनके आध्यात्मिक नेताओं से उनके आमंत्रण पर ही मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि समाज में जो लोग भी चाहें वे मुस्लिम, इसाई हों अथवा विदेश से आने वाले प्रतिनिधि मंडल हों यदि वे संघ को समझने और उससे संवाद कायम करना चाहते हैं तो ऐसे सभी लोगों का हम स्वागत करते हैं। हम कभी भी संवाद से दूर नहीं भागते। संवाद के माध्यम से हम सभी को एकजुट करना चाहते हैं और वैसे भी हमारी धारण वसुधैव कुटुम्बकम् में है। हमारे लिए कोई भी शत्रु नहीं है लेकिन हम राष्ट्र विघातक शक्तियों के खिलाफ समाज को सजग करने का काम करते रहेंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि हम लोग हर प्रकार से सामाजिक संगठन हैं और इस प्रकार चाहे भाषा, जाति या अन्य प्रकार के भेदों को दूर करते हुए हमारे कार्यकर्ता समाज को एकजुट करने का काम करते हैं। कुछ राजनीतिक शक्तियां अपने स्वार्थ के लिए समय-समय पर भाषा-जाति व अन्य प्रकार का विघ्न पैदा करते हैं लेकिन वे यह जान लें कि समाज बहुत जागृत है और वे कभी सफल नहीं होंगे। भारत और समाज को तोड़ने वाली शक्तियां परास्त होंगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इसी लक्ष्य को लेकर समाज को एकजुट करने का कार्य करता रहेगा।
साभार -हिस