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पद्मश्री डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र का निधन, कोलकाता में ली आखिरी सांस

कोलकाता, पद्मश्री से सम्मानित मशहूर साहित्यकार डॉक्टर कृष्ण बिहारी मिश्र (90 वर्ष) का निधन हो गया है। उनके बेटे कमलेश मिश्रा ने बताया कि सोमवार रात 12:30 बजे कोलकाता के बेलियाघाटा स्थित अपने निवास स्थान 7बी हरिमोहन लेन में उन्होंने अंतिम सांस ली है। मंगलवार दोपहर निमतल्ला श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। जहां बड़ी संख्या में साहित्य और पत्रकारिता जगत के लोग उपस्थित थे।
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बलिया निवासी मिश्र बलिहार गांव के रहने वाले थे। उनकी मां का नाम बगुना देवी और पिता का नाम घनश्याम मिश्रा था। वह अपने माता-पिता की एकमात्र संतान थे। गांव के स्कूल में ही शुरुआती पठन-पाठन के बाद उन्होंने गोरखपुर के मिशन स्कूल से पढ़ाई की और काशी हिंदू विश्वविद्यालय और कलकत्ता विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा हासिल की।
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी सरीखे हिंदी के प्रकांड विद्वानों से उन्हें सीखने को मिला था। कलकत्ता विश्वविद्यालय से उन्होंने हिंदी पत्रकारिता विषय पर डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी। लंबे समय तक उन्होंने अध्यापन का काम किया था। इसी विश्वविद्यालय के अंतर्गत कॉलेज बंगवासी मॉर्निंग कॉलेज से वह 30 जून 1996 को सेवानिवृत्त हुए थे। कोलकाता में होने वाली साहित्यिक गोष्ठियों और वैचारिक मंचों पर उनकी मूर्धन्य उपस्थिति हमेशा सम्मानित मानी जाती थी।
पत्रकारिता के क्षेत्र में उनकी किताबें मील के पत्थर की तरह रही हैं। उन्होंने चार किताबें पत्रकारिता से संबंधित लिखी हैं जो पूरे देश में मशहूर हैं। इसके अलावा उनके निबंधों का एक संग्रह भी छपा है। उन्होंने संस्मरण पुस्तकें, जीवनी और समीक्षाएं भी लिखी हैं। वे हिंदी साहित्य बंगीय भूमिका का संपादन करते थे। उनका कविता संकलन ‘नवाग्रह’ भी प्रकाशित हो चुका है जबकि समिधा नाम की त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका का संपादन भी वह करते थे। कलकत्ता विश्वविद्यालय से प्रकाशित अंग्रेजी पुस्तक का हिंदी अनुवाद “भगवान बुद्ध” उन्होंने ही किया था।
साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें घर जाकर पद्मश्री पुरस्कार से अलंकृत किया गया था। इसके अलावा ज्ञानपीठ के मूर्ति देवी पुरस्कार से भी सम्मानित थे। कई अन्य सम्मान उन्हें दिया गया था। उनके निधन से कोलकाता साहित्य जगत को एक अपूरणीय क्षति हुई है। श्री बड़ा बाजार कुमार सभा पुस्तकालय की ओर से इस संबंध में शोक संदेश जारी कर कहा गया है कि मिश्र का निधन कोलकाता ही नहीं बल्कि हिंदी साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में एक ऐसे शून्य का सृजन करने वाला है जो कभी नहीं भरेगा।
साभार -हिस

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