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हिमपात न होने से ग्लेशियर लेडी शांति ठाकुर ने जताई चिंता
उत्तरकाशी, गंगोत्री- गौमुख हिमालय के ऊंचाई वाले इलाकों के जनवरी माह में ही बर्फ विहीन होने से पर्यावरणविद खासे चिंतित हैं। निचले इलाकों में भी मौसम के अनुकूल बारिश न होने से काश्तकारों की बागवानी और फसलों को भी भारी नुकसान का अनुमान हैं। कम हिमपात और बारिश के चलते जल स्रोत रिचार्ज न होने से गर्मियों में जहां पानी संकट पैदा होने की आशंका पैदा हो गई है वहीं पशुपालकों को चारापत्ती की चिंता सताने लगी है।
इस मौसम में अनुकूल बर्फबारी और बारिश न होने से हर्षिल, रवानी के सेलरी और मोरी क्षेत्र के आराकोट बंगाण सहित समूचे सेब उत्पादक क्षेत्र में बागवानी काश्तकारों के माथे पर चिंता की लकीरें दिख रही हैं। उत्तरकाशी गौमुख हिमालय के पहाड़ बर्फविहीन चोटियां नजर आ रही हैं। गंगोत्री क्षेत्र में मार्च माह तक बर्फबारी से लकदक रहते हैं।
इस बार फरवरी माह में भी बर्फ कहीं देखने को नहीं मिल रही है। इससे इस बार यहां के जल स्रोत रिचार्ज नहीं हो पाए हैं। इससे गर्मियों में जहां वनाग्नि खतरा मंडरा रहा है वहीं जल स्रोत न होने से मई-जून माह में पेयजल संकट गहरा सकता है।
प्रकृति से लगातार हो रही मानवीय छेड़छाड़ से मौसम में हो रहा परिवर्तन : ग्लेशियर लेडी
गौमुख हिमालय बचाओ ग्लेशियर लेडी शांति ठाकुर ने कहा कि प्रकृति के साथ मानवीय छेड़छाड़ से मौसम में परिवर्तन हो रहा है। लगातार जंगलों के दोहन, हिमालयी क्षेत्रों में मानव गतिविधियां बढ़ना भविष्य के लिए चिंताजनक हैं। जो स्थान शीतकाल में मानवविहीन रहता था, वहां भी शीतकाल में मानवीय हलचल हो रही है। इस कारण यह परिवर्तन हो रहे हैं। सरकारों को पर्यावरण संरक्षण पर भी ध्यान देना चाहिए अन्यथा भविष्य में इसके घातक परिणाम होंगे।
गोमुख हिमालय गंगोत्री क्षेत्र में मार्च महीने तक 4 से 5 फीट बर्फ रहती थी। इस समय कहीं भी बर्फ देखने को नहीं मिल रही है। यह पर्यावरण के लिए चिंता का विषय है। गंगोत्री में जिस प्रकार से सैकड़ों पेड़ की कटान प्रस्तावित है, उससे आने वाले समय में गंगोत्री का पर्यावरणीय अस्तित्व खत्म हो जाएगा।
साभार- हिस