बताया जाता है कि विभाजन के बाद जब उनका परिवार पाकिस्तान चला गया तब उनकी उम्र महज चार साल थी। 2001 में दिल्ली यात्रा के दौरान वे दरियागंज के उसी घर में आए थे, जिसमें उनका जन्म हुआ था। अपना जन्मस्थान देखकर वे भावुक हो गए थे। यह घर अब काफी पुराना और जर्जर हो चुका है। उनके इस घर को नहर वाली हवेली भी कहते हैं। हालांकि उनके आलीशान घर को देखकर इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि मुशर्रफ उन दिनों पुरानी दिल्ली के जाने-माने परिवार से ताल्लुक रखते थे। अब उस हवेलीनुमा घर में आठ परिवार रहते हैं।
2001 में जो लोग उस घर में रहते थे, उनमें से अधिकतर को तो इस बात की जानकारी भी नहीं थी कि उसके असली मालिक कौन हैं ? घर के असली कागजातों पर सारी जानकारियां उर्दू में लिखी हुई हैं, जिन पर मुशर्रफ के पिता का अंग्रेजी में हस्ताक्षर है। उनके पिता सैयद मुशर्रफुद्दीन ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की थी और अंग्रेजी शासन में सिविल सर्वेंट थे। उनके परदादा टैक्स कलेक्टर थे और नाना अंग्रेजी सरकार में जज थे।
उल्लेखनीय है कि 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए करगिल युद्ध के दौरान परवेज मुशर्रफ सुर्खियों में आए। उस दौरान मुशर्रफ ही पाकिस्तानी सेना के प्रमुख थे। सेनाध्यक्ष रहते हुए उन्होंने भारत को कई ऐसे जख्म दिए, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।
बताया जाता है कि मुशर्रफ 1961 में पाकिस्तान सेना में शामिल हुए थे। 1965 में उन्होंने पहला युद्ध भारत के खिलाफ लड़ा और इसके लिये उन्हें पाकिस्तान सरकार द्वारा वीरता का पुरस्कार भी दिया गया। उनके नेतृत्व में 1971 में हुए दूसरे भारत-पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तान को हार का मुंह देखना पड़ा। साथ ही 1999 में कारगिल युद्ध में भी पाकिस्तान को हार मिली थी।
साभार- हिस
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