देहरादून, उत्तराखंड की राजधानी में जून 1970 में आईएमए से पास हुए 45वें रेगुलर और 29वें टेक्निकल ग्रेजुएट कोर्स के वेटरन्स सेना में कमीशनिंग के 50 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाने के लिए सोमवार को अपने “अल्मा मेटर” में एकत्रित हुए।
इस कार्यक्रम को कोरोना महामारी के कारण देर से आयोजित किया गया। कुल 381 जेंटलमैन कैडेट (जीसी) जिसमें 45वें कोर्स से 276 और 29वें टेक्निकल कोर्स से 105 शामिल थे, 13 जून 1970 को आईएमए से उत्तीर्ण हुए और 14 जून 1970 को भारतीय सेना में शामिल हुए।
इस कोर्स से जनरल वीके सिंह सेना प्रमुख बने। वह वर्तमान में सड़क, राजमार्ग परिवहन मंत्रालय के साथ-साथ कई मंत्रालयों के मंत्री हैं। इसके अलावा इस कोर्स से तीन वीसीओए/सेना कमांडर, छह लेफ्टिनेंट जनरल और 13 मेजर जनरल तैयार हुए।
ओपी कैक्टस लिली के दौरान चार अधिकारियों को वीर चक्र और छह अधिकारियों को पराक्रम पदक से सम्मानित किया गया। इनमें 2/लेफ्टिनेंट जेजेएस राणे वीआरसी (पी), 5 गढ़वाल राइफल्स शामिल थे, जिन्होंने 1971 में हिली, बांग्लादेश की लड़ाई में सर्वोच्च बलिदान दिया था। तीन अधिकारियों को शौर्य चक्र, 10 अधिकारियों को सेना पदक और पांच अधिकारियों को यूवाईएसएम, वाईएसएम से सम्मानित किया गया था। इस कोर्स ने 10 पीवीएसएम, 10 एवीएसएम और कई अन्य प्रतिष्ठित सेवाएं अर्जित की हैं।
स्वर्ण जयंती की शुरुआत आईएमए युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण के साथ हुई, जिसमें आईएमए से उत्तीर्ण हुए भारतीय सेना के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। समारोह में अधिकारियों की पत्नियां भी शामिल हुईं। कोर्स के सदस्यों ने सेवा के दौरान और सेवानिवृत्ति के बाद दिवंगत हुए अपने साथियों को भी श्रद्धांजलि दी। चेटवुड ड्रिल स्क्वायर में एक स्मारक समूह तस्वीर के बाद, आईएमए संग्रहालय का दौरा किया गया। इसके बाद भूतपूर्व सैनिकों को अकादमी के विंडशील्ड टूर पर ले जाया गया। ऑफ कमांडेंट ने उनके साथ बातचीत की और अभिलेखागार से पुरानी तस्वीरें साझा कीं।
साभार-हिस