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हथियार व उड़ान प्रशिक्षण प्रणाली पर खर्च होने वाले 3400 करोड़ की होगी बचत, दिसंबर में भर्ती होंगे तीन हजार अग्निवीर
चंडीगढ़, भारतीय वायुसेना को 90वीं वर्षगांठ पर नई सौगात मिली है। केंद्र सरकार ने वायुसेना अधिकारियों के लिए हथियार प्रणाली शाखा के निर्माण को मंजूरी दी है। इस शाखा के बनने से हथियार और उड़ान प्रशिक्षण प्रणालियों पर खर्च होने वाले 3400 करोड़ खर्च की बचत होगी। दिसंबर माह में वायुसेना में तीन हजार अग्निवीरों की भर्ती की जाएगी। अगले साल महिला अग्निवीरों को भी शामिल करने की योजना है।
यह घोषणा वायु सेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल वीआर चौधरी ने चंडीगढ़ एयरफोर्स स्टेशन पर एयर फोर्स-डे परेड के दौरान की। एयर फोर्स-डे पर एयर चीफ मार्शल ने वायुसेना की नई कांबैक्ट वर्दी का भी अनावरण किया। एयरचीफ मार्शल ने कहा कि नई हथियार प्रणाली शाखा का सतह से सतह पर मार करने वाली और सतह से हवा में मार करने वाली, रिमोट से पायलटेड एयरक्राफ्ट, हथियार प्रणाली आपरेटर और ट्विन एंड मल्टी एयरक्राफ्ट में संचालन में अहम योगदान रहेगा। पारंपरिक कार्यक्षेत्र भूमि, समुद्र और वायु में विस्तार करते हुए अंतरिक्ष और साइबर क्षेत्र में कदम बढ़ाया गया है। हाइब्रिड युद्ध में इन सभी क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। युद्ध के दौरान प्रयोग किए जाने वाले अत्याधुनिक हथियारों में बदलाव की दिशा में भी कदम बढ़ाया गया है। इसलिए पारंपरिक प्रणालियों और हथियारों को आधुनिक, लचीली और अनुकूल प्रौद्योगिकी द्वारा संवर्धित करने की आवश्यकता होगी।
एयर चीफ मार्शल ने कहा कि टेक्नोलॉजी से नयेपन की ओर कदम बढ़ाया गया है। इसलिए पुरानी मानसिकता के साथ लड़ाई लड़ने की सोच को नकारते हुए वर्तमान माहौल के मुताबिक वायुसेना को मजबूत किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष के वर्षगांठ समारोह का विषय ‘आईएएफ: ट्रांसफॉर्मिंग फॉर द फ्यूचर (भविष्य के लिए परिवर्तन), जो बहुत उपयुक्त है, क्योंकि भारतीय वायु सेना को आधुनिक और भविष्य की चुनौती से निपटने के लिए पुनर्परिभाषित, पुनर्कल्पना और पुनर्गणना की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
वायु सेना चीफ ने कहा कि हमें पूर्ववर्तियों से गौरवपूर्ण विरासत मिली है। पूर्व के दिग्गजों ने वायु सेना को कड़ी मेहतन, लगन और दूरदृष्टि के साथ आगे बढ़ाया है, अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम वायु सेना को शताब्दी दशक में लेकर जाएं। सभी वायु योद्धाओं की मेहनत और लगन के बूते ही वायुसेना ऊंचाइयों तक लेकर जा सकता है।
साभार-हिस