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आजादी के बाद पहली बार लाल किले से दागी गई तोप, स्वदेशी एटीएजीएस से हुए दो राउंड फायर

  •  प्रोटोटाइप एटीएजीएस ने सेरेमोनियल 25 पाउंडर गन के साथ की अभ्यास फायरिंग

  •  यह अभ्यास फायरिंग 21 तोपों की सलामी देने का रिहर्सल करने के दौरान की गई

नई दिल्ली, आजादी के बाद पहली बार लाल किले से तोप दागी गई। स्वतंत्रता दिवस पर होने वाले गन सैल्यूट का रिहर्सल करने के दौरान उन्नत टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) से 2 राउंड फायर किए गए। प्रोटोटाइप एटीएजीएस ने सेरेमोनियल 25 पाउंडर गन के साथ अभ्यास फायरिंग की है। एटीएजीएस की यह परियोजना 2013 में डीआरडीओ ने भारतीय सेना में पुरानी तोपों को बदलने के लिए आधुनिक 155 मिमी आर्टिलरी गन के साथ शुरू की थी।

इंटेलिजेंस ब्यूरो ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस से पहले लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और अन्य कट्टरपंथी समूहों के संभावित आतंकी हमले के लिए अलर्ट जारी किया है। ख़ुफ़िया रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस को 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस से पहले लाल किले में सख्त प्रवेश नियम लागू करने का निर्देश दिया गया है। इस रिपोर्ट में जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे पर हुए हमले, उदयपुर और अमरावती की घटनाओं का उल्लेख करते हुए पुलिस को उग्रवादी समूहों और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर उनकी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए हैं।
इसी के मद्देनजर स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय ध्वज फहराने के कार्यक्रम का कड़ाई से पूर्वाभ्यास करके सुरक्षा इंतजाम किये जा रहे हैं। स्वतंत्रता दिवस पर होने वाले गन सैल्यूट का रिहर्सल करने के दौरान प्रोटोटाइप एटीएजीएस ने सेरेमोनियल 25 पाउंडर गन के साथ अभ्यास फायरिंग की है। यह अभ्यास फायरिंग 21 तोपों की सलामी का रिहर्सल करने के दौरान हुई है। सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ अवधारणा के तहत विकसित एटीएजीएस से दो राउंड फायर किए गए। डीआरडीओ ने भारतीय सेना में पुरानी तोपों को बदलने के लिए आधुनिक 155 मिमी आर्टिलरी गन के साथ 2013 में यह परियोजना शुरू की थी।

स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान पहली बार डीआरडीओ निर्मित स्वदेशी तोपों से सेरेमोनियल गन सैल्यूट के दौरान ’25 पाउंडर ब्रिटिश गन’ के साथ फायरिंग की जाएगी, जो अब तक पारंपरिक रूप से चलाई जाती थीं। एक लेफ्टिनेंट कर्नल के नेतृत्व में आयुध अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (एआरडीई) की डीआरडीओ टीम को फायरिंग करने की जिम्मेदारी दी गई है। इस एटीएजीएस ने दो माह पहले पोखरण में ग्रीष्मकालीन परीक्षणों के दौरान अपनी क्षमता साबित कर दी है। मौजूदा समय में रक्षा मंत्रालय का गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय (डीजीक्यूए) इसका मूल्यांकन कर रहा है।
डीआरडीओ की प्रयोगशाला आयुध अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (एआरडीई) ने इस विशेष बंदूक के निर्माण के लिए भारत फोर्ज लिमिटेड और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड के साथ भागीदारी की है। इस एटीएजीएस की 155 एमएम कैलिबर गन की फायरिंग रेंज 48 किलोमीटर है। हाई मोबिलिटी, क्विक डिप्लॉयबिलिटी, ऑक्जिलरी पावर मोड, एडवांस्ड कम्युनिकेशन सिस्टम, डायरेक्ट-फायर मोड में रात की क्षमता के साथ ऑटोमैटिक कमांड और कंट्रोल सिस्टम जैसी उन्नत सुविधाओं के साथ यह गन विश्वस्तरीय प्रणाली है। डीआरडीओ के मुताबिक दुनिया में अभी तक किसी अन्य गन के पास यह क्षमता नहीं है। इसे सबसे अच्छी सटीकता और स्थिरता प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है।
साभार -हिस

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