Home / National / मोदी ने मन की बात में किया रथयात्रा का जिक्र

मोदी ने मन की बात में किया रथयात्रा का जिक्र

  •  समाज के हर वर्ग और व्यक्ति के साथ चलने का किया आह्वान

  •  महाप्रभु श्री जगन्नाथ की रथयात्रा की विशेषताओं और संदेशों का दिया हवाला

  •  कहा- भगवान् भी समाज के हर वर्ग और व्यक्ति के साथ हैं चलते

  •  उनकी रथयात्रा में होती है गरीबों, वंचितों की विशेष भागीदारी

हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात में पुरी की विश्वप्रसिद्ध महाप्रभु श्री जगन्नाथ की रथयात्रा का जिक्र करते हुए उसमें छुपे संदेशों पर प्रकाश डाला. मोदी ने रथयात्रा की विशेषताओं का जिक्र करते हुए समाज के हर वर्ग और व्यक्ति के साथ चलने का आह्वान किया. इसके लिए उन्होंने महाप्रभु श्री जगन्नाथ की रथयाओं की विशेषताओं और उसमें छुपे संदेशों का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि रथयात्रा में भगवान भी समाज के हर वर्ग और व्यक्ति के साथ चलते हैं. उनकी रथयात्रा में गरीबों, वंचितों की विशेष भागीदारी होती है. उन्होंने कहा कि ओडिशा में पुरी की यात्रा से तो हर देशवासी परिचित है. लोगों का प्रयास रहता है कि इस अवसर पर पुरी जाने का सौभाग्य मिले. दूसरे राज्यों में भी जगन्नाथ रथयात्रा खूब धूमधाम से निकाली जाती है. भगवान जगन्नाथ यात्रा आषाढ़ महीने की द्वितीया से शुरू होती है. हमारे ग्रंथों में ‘आषाढस्य द्वितीयदिवसे…रथयात्रा’, इस तरह संस्कृत श्लोकों में वर्णन मिलता है. गुजरात के अहमदाबाद में भी हर वर्ष आषाढ़ द्वितीया से रथयात्रा चलती है. मैं गुजरात में था, तो मुझे भी हर वर्ष इस यात्रा में सेवा का सौभाग्य मिलता था. उन्होंने कहा कि मेरे लिए इसलिए भी ये दिन बहुत खास है – मुझे याद है, आषाढ़ द्वितीया से एक दिन पहले, यानी, आषाढ़ की पहली तिथि को हमने गुजरात में एक संस्कृत उत्सव की शुरुआत की थी, जिसमें संस्कृत भाषा में गीत-संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं. इस आयोजन का नाम है – ‘आषाढस्य प्रथम दिवसे’. उत्सव को ये खास नाम देने के पीछे भी एक वजह है. दरअसल, संस्कृत के महान कवि कालिदास ने आषाढ़ महीने से ही वर्षा के आगमन पर मेघदूतम् लिखा था. मेघदूतम् में एक श्लोक है – आषाढस्य प्रथम दिवसे मेघम् आश्लिष्ट सानुम्, यानि, आषाढ़ के पहले दिन पर्वत शिखरों से लिपटे हुए बादल, यही श्लोक, इस आयोजन का आधार बना.
उन्होंने कहा कि अहमदाबाद हो या पुरी, भगवान जगन्नाथ अपनी इस यात्रा के जरिए हमें कई गहरे मानवीय सन्देश भी देते हैं. भगवान जगन्नाथ जगत के स्वामी तो हैं ही, लेकिन, उनकी यात्रा में गरीबों, वंचितों की विशेष भागीदारी होती है. भगवान भी समाज के हर वर्ग और व्यक्ति के साथ चलते हैं. ऐसे ही हमारे देश में जितनी भी यात्राएं होती हैं, सबमें गरीब-अमीर, ऊंच-नीच ऐसे कोई भेदभाव नजर नहीं आते. सारे भेदभाव से ऊपर उठकर, यात्रा ही, सर्वोपरि होती है. प्रधानमंत्री ने रथयात्रा की अग्रिम शुभकामनाएं देते हुए देशभर में निकलने वाली अन्य यात्राओं पर प्रकाश डाला.

Share this news

About desk

Check Also

प्रधानमंत्री ने गोंदिया बस हादसे पर जताया शोक, मृतकों के आश्रितों और घायलों के लिए आर्थिक मदद का ऐलान

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के गोंदिया में हुई बस दुर्घटना …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *