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होम्योपैथी से कैंसर सहित डर, एंग्जायटी और डिप्रेशन का भी इलाज संभवः अनिल खुराना

नई दिल्ली, होम्योपैथी सफल इलाज की पद्धतियों में से एक है। पिछले कुछ सालों में होम्योपैथी से इलाज कराने का चलन 40 फीसदी तक बढ़ा है। खासकर कोरोना काल में तो होम्योपैथिक दवाओं के इस्तेमाल का ग्राफ तेजी से ऊपर चढ़ा। करीब सवा 200 साल पुरानी इस चिकित्सा पद्धति में अब कई शोध किए जा चुके हैं जिससे इसकी प्रामाणिकता साबित हुई है। हाल ही में होम्योपैथी से दिमागी बुखार, कैंसर, चर्म रोग के इलाज पर शोध किए गए, जिसके परिणाम बेहद उत्साहवर्धक पाए गए। शायद यही वजह है कि अब लोगों का होम्योपैथी पर भरोसा कायम हुआ है। केन्द्र सरकार ने भी होम्योपैथी को जन-जन तक पहुंचाने के लिए वेलनेस सेंटरों में विशेष व्यवस्था की है। विश्व होम्योपैथी दिवस के मौके पर राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग भी देशभर में जागरुकता के मद्देनजर कई कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। होम्योपैथी की उपयोगिता और बीमारियों के शोध पर राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग के अध्यक्ष डॉ. अनिल खुराना ने हिन्दुस्थान समाचार से खास बातचीत की। प्रस्तुत है संपादित अंश-

प्रश्न- होम्योपैथी से इलाज कराने वाले लोगों की संख्या में 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और इसकी महत्ता हर साल बढ़ती ही जा रही है। इस पर क्या कहेंगे?
उत्तर- होम्योपैथी का चिकित्सक होने और इस क्षेत्र में 35 साल काम करने बाद मैं दावे से कह सकता हूं कि यह पद्धति न केवल कारगर है बल्कि लोगों में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला है। इसका उद्देश्य लोगों को बीमार होने ही नहीं देना है। इस उपचार पद्धति के बारे में बात करने से पहले इसे समझने की आवश्यकता है। होम्योपैथी जर्मनी में सन् 1796 में डॉ. सैमुअल हैनीमैन द्वारा खोजी गई दवा की प्रणाली है। होम्योपैथी शब्द का अर्थ होता है समान पीड़ा से उपचार करना। यह उपचार के प्राकृतिक नियम विष ही विष की औषधि है पर काम करती है। शरीर खुद ही अपना इलाज कर लेती है। इस उपचार पद्धति से अचानक होने वाली बीमारियां जैसे बुखार, खांसी से लेकर गठिया, मधुमेह जैसी जीवनशैली की बीमारियों का इलाज कर सकते हैं। यह एक समग्र चिकित्सा होने के नाते, केवल व्यक्तिगत लक्षणों का इलाज ही नहीं करती है बल्कि संपूर्ण उपचार के लिए व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति पर भी ध्यान देती है। यानी किसी भी बीमारी का जड़ से इलाज किया जाता है। इसलिए इन दिनों लोग होम्योपैथी से इलाज करवाना पसंद कर रहे हैं। इस उपचार पद्धति की सबसे खास बात इसके कोई साइड इफेक्ट्स नहीं हैं। इसलिए हर साल होम्योपैथी से इलाज करवाने वाले लोगों की संख्या में 20-25 प्रतिशत बढ़ोतरी हो रही है। एसोचैम के मुताबिक होम्योपैथी से इलाज करवाने वालों की संख्या 40 प्रतिशत बढ़ी है।
प्रश्न- होम्योपैथी से किन-किन बीमारियों का इलाज संभव है?
उत्तर- सभी तरह की बीमारियों का इलाज होम्योपैथी से संभव है। हर तरह के चर्म रोग के इलाज में तो होम्योपैथी में विशेषज्ञता हासिल है। इसके अलावा खांसी, बुखार, कैंसर, बीपी जैसी बीमारियों का इलाज भी किया जा रहा है। हाल ही में गोरखपुर में फैले जापानी बुखार पर होम्योपैथी काफी कारगर सिद्ध हुआ है। इस पर किए गए शोध के नतीजे बेहद उत्साहजनक हैं। 300 मरीजों पर किए गए शोध के नतीजों के अनुसार इस बीमारी से होने वाली मौत में 18 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। जिन बच्चों को होम्योपैथी की दवा दी गई उनमें गंभीर लक्षण कम दिखाई दिए और बच्चे ठीक हो गए। जापानी बुखार के मरीजों में 40 फीसदी मरीजों की मौत हो जाती है। ऐसे में होम्योपैथी का यह शोध बेहद उत्साहजनक है। इसी तरह डेंगू पर भी हेडगेवार अस्पताल के साथ मिलकर एक शोध किया गया जिसमें यह कारगर पाया गया। मधुमेह के मरीजों के लिए भी यह कारगर है। इसके अलावा क्रोनिक बीमारियां जैसे अल्सर, त्वचा रोग, कैंसर में भी कारगर साबित हुआ है।

प्रश्न- पिछले पांच सालों में किन-किन बीमारियों पर शोध किए गए?
उत्तर – केन्द्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद ने पिछले पांच सालों में कई आयाम गढ़े हैं। डेंगू, चिकनगुनिया की रोकथाम में होम्योपैथी काफी कारगर साबित हुई है। इस पर किए शोध के नतीजे काफी सकारात्मक आए। इसके नतीजों को प्रकाशित भी किया गया है। इसके साथ गोरखपुर और उसके सटे हुए क्षेत्र में फैले एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (जापानी बुखार) पर भी शोध किया गया है। बच्चों में दांत निकलने के वक्त होने वाली डायरिया, नाक बहना और बुखार जैसी दिक्कतों को कम करने में भी होम्योपैथी कारगर सिद्ध हुआ है। इस पर शोध किया गया है। इसके अलावा कोरोना और पोस्ट कोरोना पर भी किए गए शोध के नतीजे काफी उत्साहवर्धक आए हैं। कोरोना से बचाव में होम्योपैथी की दवाइयां काफी कारगर साबित हुई हैं। इसी तरह नजला, खांसी जुखाम में भी शोध किए गए हैं। होम्योपैथी के इलाज को प्रामाणिकता के साथ लोगों के सामने रखा जा रहा है। लोगों की भ्रांतियों को दूर किया जा रहा है।

प्रश्न– केन्द्र सरकार ने होम्योपैथी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कौन से कदम उठाए हैं?
उत्तर- केन्द्रीय आयुष मंत्रालय के तहत आने वाले राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग का गठन पिछले साल हुआ, लेकिन उससे पहले भी कई सालों से इस क्षेत्र में व्यापक काम हो रहा है। शहरों में तो होम्योपैथी को लेकर काफी जागरुकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसके महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए केन्द्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद वहा कैंप्स, आयुष मेला, सम्मेलन आयोजित कर रहा है। साल 2014 से होम्योपैथी के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए आयुष मंत्रालय ने हर साल 50 गांव को गोद लिया। इस योजना के तहत लोगों को साफ-सफाई के महत्व के बारे में बताने के साथ ही होम्योपैथी के इलाज के बारे में कैंप्स लगाए गए। इस योजना के तहत अबतक 200 से अधिक गांव में होम्योपैथी के प्रति लोगों को जागरूक किया जा चुका है। इन गांवों में अब पेट से संबंधित बीमारियों की शिकायतें कम हैं। लोग साफ-सफाई के प्रति काफी जागरूक हुए हैं।
प्रश्न- कोरोना काल में होम्योपैथी काफी लोकप्रिय हुई। खासकर प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाई- आर्सनिक एलबम 30सी का लोगों ने खूब सेवन किया। अब पोस्ट कोरोना से लोगों को हो रही समस्याओं पर भी क्या कोई शोध चल रहा है?

उत्तर- कोरोना काल में होम्योपैथी दवाइयों पर शोध किया गया है, जिसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं। कोरोना संक्रमित जिन मरीजों को होम्योपैथी दवाइयां दी गईं उनकी रिकवरी तेजी से हुई। यह शोध तीन स्थानों पर किया गया जिसके परिणाम उत्साहवर्धक रहे। अब कोरोना के बाद भी कई लोगों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें सामने आ रही हैं। कोरोना से ठीक हुए लोगों में डायबीटीज, खांसी, जोड़ों में दर्द, थकान महसूस होना और सांस लेने में दिक्कत की शिकायत सामने आ रही है। इन सभी बीमारियों के इलाज में होम्योपैथी के इलाज के प्रभाव को जानने के लिए एम्स दिल्ली के साथ शोध शुरू किया गया है। जल्दी ही इसका क्लीनिकल ट्रायल शुरू हो जाएगा।

प्रश्न- जीवनशैली से जुड़ी किन-किन बीमारियों पर होम्योपैथी के इलाज को लेकर शोध शुरू किया गया है?

उत्तर- ब्लड प्रेशर, डायबीटीज, डिप्रेशन जैसी लाइफ स्टाइल से जुड़ी बीमारियां अब काफी लोगों को होने लगी हैं। होम्योपैथी में इन सभी का कारगर इलाज है बशर्ते कि बीमारियों का इलाज शुरुआती लक्षण आने से ही शुरू कर दिया जाए। ज्यादातर लोग होम्योपैथी इलाज करवाने तब आते हैं जब वे सभी चिकित्सा पद्धतियों से इलाज करवा कर थक जाते हैं। ऐसे में बीमारी काफी पुरानी हो जाती है, जाहिर है उनके इलाज में वक्त लगता है। होम्योपैथी में इन सभी बीमारियों का इलाज है। इसे सिद्ध करने के लिए कुछ शोध शुरू किए जा रहे हैं। इनमें रक्तचाप, मधुमेह, फेफड़ों का कैंसर शामिल है।

प्रश्न- कई लोगों को बंद कमरे से डर लगता है। किसी को कीड़े-मकोड़े से डर लगता है, तमाम तरह के फोबिया लोगों में होते हैं। अकसर कहा जाता है कि इसका कोई इलाज नहीं है। क्या डर दूर करने का इलाज भी होम्योपैथी से संभव है, इस पर विस्तार से बताएं?

उत्तर- डर का इलाज बिलकुल है। यही नहीं सभी तरह के फोबिया, एंग्जायटी, तनाव, नींद नहीं आना ये सारी बीमारियों का इलाज होम्योपैथी के माध्यम से किया जा सकता है। बच्चों को परीक्षा के वक्त डर लगता है, इसके कारण उन्हें दूसरी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो जाती हैं। इन सभी बीमारियों का इलाज संभव है। होम्योपैथी में वक्त लगता है लेकिन इलाज जड़ से होता है।

प्रश्न- राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग के उद्देश्य और भविष्य की य़ोजनाओं के बारे में कुछ बताइए?

उत्तर- राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग का गठन पिछले साल हुआ है। इसके गठन का उद्देश्य मेडिकल संस्थानों और होम्योपैथिक मेडिकल प्रोफेशनल्स को रेगुलेट करने के लिए नीतियां बनाना है। इसके अलावा स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित मानव संसाधन और इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी जरूरतों का मूल्यांकन करना और यह सुनिश्चित करना कि राज्य होम्योपैथी आर्युविज्ञान परिषद बिल के रेगुलेशंस का पालन कर रही हैं या नहीं, मुख्यरूप से होम्योपैथी की पढ़ाई को मजबूती प्रदान करने और इसकी गुणवत्ता में सुधार लाने की दिशा में भी आयोग काम करेगा। देशभर में होम्योपैथी से संबंधित करीब 259 शिक्षण संस्थान हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ होम्योपैथी ने कुछ नए पीजी कोर्स को शुरू करने की योजना बनाई है। सामुदायिक स्वास्थ्य और चर्मरोग पर विशेष कोर्स शुरू करने की योजना तैयार की गई है। तैयार मसौदे को स्वीकृति मिलने के बाद अगले सत्र से इन कोर्स की शुरुआत की जाएगी।
साभार-हिस

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