Home / National / औपचारिक और अनौपचारिक शिक्षा के बीच की खाई पाटना जरूरी : धर्मेंद्र प्रधान

औपचारिक और अनौपचारिक शिक्षा के बीच की खाई पाटना जरूरी : धर्मेंद्र प्रधान

नई दिल्ली, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को कहा कि छात्रों को नियोक्ता बनने के लिए पढ़ाई करने की जरूरत है, न कि कर्मचारी। उन्होंने कहा कि औपचारिक और अनौपचारिक शिक्षा के बीच खाई को पाटना बेहद जरूरी है। लगभग 35 करोड़ भारतीय औपचारिक या अनौपचारिक शिक्षा के अधीन हैं। भारत को महाशक्ति बनाने के लिए शिक्षा के क्षेत्र में शामिल इस आबादी का हुनरमंद होना जरूरी है।

शिक्षा मंत्री प्रधान ने राजधानी में आयोजित दो दिवसीय भारत शिक्षा शिखर सम्मेलन 2022 में प्रत्येक भारतीय को शिक्षा और कौशल प्रदान करने, भारत को एक ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने के तरीके और देश के हर हिस्से में नवाचार की भावना पर अपने विचार साझा किए। इस दौरान प्रधान ने कहा कि पिछले दो सालों में वैश्विक महामारी ने विशेषकर उन छात्रों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है, जो अगले 25 वर्षों में देश के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेंगे।

उन्होंने कहा कि क्या हम युवाओं को नौकरी के लिए तैयार करते हैं या उन्हें नौकरी देने वाले बनने के लिए तैयार करते हैं? यहीं पर हम सभी को इस खाई को पाटना है। प्रधान ने कहा कि प्रौद्योगिकी शिक्षा की खाई को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जीईआर को बढ़ाकर, स्किलिंग को आकांक्षी बनाकर और 52.5 करोड़ युवा भारतीयों की आर्थिक उत्पादकता बढ़ाकर हम भारत को एक ज्ञान महाशक्ति बना सकते हैं।

प्रधान ने कहा कि अनुमानित 52.5 करोड़ जनसंख्या 0-23 वर्ष की आयु वर्ग के अंतर्गत है, जिसमें से लगभग 35 करोड़ के पास शिक्षा और कौशल की पहुंच है। जब हम अंतर को पाटने की बात करते हैं, तो हमें शेष 17-18 करोड़ को स्कूली शिक्षा और कौशल की छत्रछाया में लाने का प्रयास करना चाहिए।

शिक्षा को लेकर मौलिक भ्रम का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम फिर से शिक्षा मंत्रालय कर गलती को सुधारने का काम किया है।

यूक्रेन संकट और विदेशों से भारतीय छात्रों की वापसी का जिक्र करते हुए प्रधान ने कहा कि लगभग दस लाख छात्र उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए विदेश जाते हैं, लेकिन किसी को चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भारत में अपना आधार स्थापित कर रही हैं और लाखों लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान कर रही हैं।

टियर-II और III शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक प्रतिभाशाली युवाओं के बारे में बात करते हुए उन्होंने इन छात्रों को ऊंची उड़ान भरने में मदद करने के लिए कौशल विकास की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “हम एनईपी 2020 के माध्यम से मार्ग-दर्शन और वैश्विक समाधान प्रदान कर इन छात्रों की उद्यमिता, वैज्ञानिक सोच, इंजीनियरों को अपने सपने आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहते हैं।”

देश की शिक्षा प्रणाली में मौजूदा भाषा संबंधी अवरोध के बारे में बात करते हुए प्रधान ने कहा कि वह इस धारणा में दृढ़ विश्वास रखते हैं कि भाषा के कारण छात्र का ज्ञान और कौशल सीमित नहीं होना चाहिए। उन्होंने जापान और जर्मनी जैसे कई अन्य देशों का उदाहरण दिया और दावा किया कि जहां लोग अपनी स्थानीय और मातृ भाषा को पहली भाषा के रूप में उपयोग करते हैं, यह केवल भारत में है जहां अंग्रेजी को क्षेत्रीय भाषाओं से अधिक बढ़ावा दिया जाता है।

उन्होंने यह भी कहा कि एनईपी 2020 ने स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया है।
साभार-हिस

Share this news

About desk

Check Also

प्रधानमंत्री मोदी काे मिला कुवैत का सर्वोच्च सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’

नई दिल्ली। कुवैत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना सर्वोच्च सम्मान “द ऑर्डर का मुबारक …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *