Home / National / सामाजिक समरसता व शुद्धि आंदोलन में आर्यसमाज की भूमिका अतुलनीय है:विनोद बंसल

सामाजिक समरसता व शुद्धि आंदोलन में आर्यसमाज की भूमिका अतुलनीय है:विनोद बंसल

रोहतक. सुंदरपुर रोहतक के दर्शन योग महाविद्यालय में अन्नपूर्णा वैदिक़ पाकशाला (भोजन प्रसाद गृह) का उद्घाटन करते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री विनोद बंसल ने कहा कि –
गुरुकुलीय शिक्षा, वैदिक़ ज्ञान, यज्ञ तथा राष्ट्रीय जीवन मूल्यों के प्रसार में आर्यसमाज की भूमिका अतुलनीय है।
स्वामी श्रद्धानन्द द्वारा स्थापित गुरूकुल कांगड़ी के बाद जगह जगह गुरूकुल बने तो हैं किंतु इनके और अधिक विस्तार की आवश्यकता है जिससे कि शुद्धि आंदोलन तथा सामाजिक समरसता को गति मिल सके।
दर्शन योग महाविद्यालय सुंदरपुर रोहतक में महात्मा प्रभु आश्रित भोजन प्रसाद गृहम् का उद्घाटन किया गया इस अवसर पर सर्वप्रथम स्वामी शान्तानन्द सरस्वती जी के ब्रह्मत्व में यज्ञ सम्पन्न हुआ जिसमें वैदिक़ भक्ति आश्रम रोहतक के प्रबंधक मुख्य यजमान श्री शशि मुनि जी रहे तथा मंत्री एवं उपमंत्री श्री जितेंद्र जी एवं बलराज जी सह यजमान थे। यज्ञ के उपरान्त स्वामीजी ने कहा कि दैनिक जीवन में ध्यान एवं पंच महायज्ञ का नियमित रूप से पालन करना चाहिए यही शारीरिक, मानसिक,आत्मिक एवं सामाजिक उन्नति का साधन होते हुए मोक्ष के मार्ग को प्रशस्त करेगा।
तदोपरांत कार्यक्रम की विशिष्ट वक्ता वैदिक़ विदुषी दर्शनाचार्या विमलेश बंसल आर्या जी ने गुरूकुलीय शिक्षा के महत्त्व को बतलाते हुए कहा कि गुरूकुल हमारी शान हैं हमें यथा-शक्ति तन मन धन से गुरुकुलों को सहयोग करना चाहिए जिससे गुरूकुल समृद्ध हो बच्चों को हर विषय की शिक्षा और उत्तम व्यवस्था मिल सके। उन्होंने स्वरचित गीत द्वारा गुरुकुलों द्वारा वेदों की ओर लौटने तथा कम से कम एक बालक गोद ले गुरूकुलों को स्वस्थ करने का आह्वाहन किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री विनोद बंसल ने कहा कि राष्ट्र की नव चेतना स्वाभिमान व समरस समाज के निर्माण में आर्यसमाज की भूमिका अतुलनीय है। यहां पर यज्ञ में बैठे हुए किसी भी व्यक्ति का यह पता लगाना मुश्किल होता है कि वह किस जाति, मत, पंथ या सम्प्रदाय का है भेदभाव के सभी बंधनों को काटकर स्त्री, पुरुष, बच्चे, बुजुर्ग, अनुसूचित जाति-जनजाति व अगड़ा पिछड़ा सभी बंधनों को तोड़कर कोई भी यज्ञ का ब्रह्मा, यजमान या याञिक बन सकता है। उन्होंने गुरुकुलों के विस्तार तथा वैदिक़ शिक्षा व यज्ञ हवन के कार्यक्रमों को और अधिक विस्तार देने पर बल दिया। साथ ही उन्होंने स्वामी श्रद्धानन्द के द्वारा प्रारम्भ किये गए शुद्धि आंदोलन (घर वापसी) पर विशेष जोर देते हुए प्रत्येक बिछड़े हुए बन्धु बांधवों को पुरातन व सनातन वैदिक़ संस्कृति की ओर लौटने और लौटाने में सहयोग हेतु आह्वाहन किया।
अपने आशीर्वचन के रूप में दर्शनयोग महाविद्यालय रोजड के निदशक, दार्शनिक विद्वान स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक जी ने लोगों की आध्यात्मिक शंका समाधान करते हुए कहा कि सत्य का मार्ग कठिन तो हो सकता है किंतु मोक्ष प्राप्ति के लिए अनिवार्य भी। हमें मोक्ष के साधन- श्रवण, मनन, निदिध्यासन (निर्णय) और साक्षात्कार पर विशेष ध्यान देकर जीवन को उत्तम बना धर्म का मार्ग ही चुनना चाहिए।
कार्यक्रम में अनेक गुरुकुलों के ब्रह्मचारी, आचार्य परविंदर जी, आचार्य ओमप्रकाश गोयल जी, निगम मुनि जी, शशि मुनि जी, सुदेश सेतिया जी, सुषमा जी व आर्यसमाजों के प्रमुख पदाधिकारी तथा कुछ धार्मिक व सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।

Share this news

About desk

Check Also

Mahalakshmi महालक्ष्मी को 50 टुकड़ा करने वाला आरोपी ओडिशा में

महालक्ष्मी को 50 टुकड़ा करने वाला आरोपी ओडिशा में

तलाश के लिए कर्नाटक ने से भेजी गईं चार पुलिस टीमें पुलिस ने 2-3 लोगों …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *