Home / National / बुन्देलखंड क्षेत्र में होलिका दहन के अगले दिन मनाया जाता है शोक
IAT NEWS INDO ASIAN TIMES ओडिशा की खबर, भुवनेश्वर की खबर, कटक की खबर, आज की ताजा खबर, भारत की ताजा खबर, ब्रेकिंग न्यूज, इंडिया की ताजा खबर

बुन्देलखंड क्षेत्र में होलिका दहन के अगले दिन मनाया जाता है शोक

  •  ग्रामीण इलाकों में आज भी कायम है सैकड़ों साल पुरानी परम्परा

हमीरपुर, बुन्देलखंड क्षेत्र के ज्यादातर गांवों में होली की परेवा के दिन रंगों की होली नहीं खेलने जाने की परम्परा आज भी कायम है। यह परम्परा भी एतिहासिक घटना से जुड़ी हुई है। होली की परेवा के दिन अंग्रेजों ने झांसी में कत्लेआम किया था। इसमें वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के पति राजा गंगाधर राव की मौत हुई थी। तभी से होलिका दहन के अगले दिन परेवा को अंझा (शोक) रहता है। लोग इस दिन को शोक के रूप में मनाते हैं। होली की दूज से समूचे क्षेत्र में होली की धूम मचती है।
प्रदेश में वैसे तो होलिका दहन होते ही होली की धूम मचने लगती है। देश और प्रदेश में होली के रंग में आम लोग रंग जाते हैं, लेकिन बुन्देलखंड के गांवों में इसके उलट त्योहार की धूम मचती है। यहां के समाजसेवी गणेश सिंह विद्यार्थी और साहित्यकार डाॅ.भवानीदीन ने होली त्योहार को लेकर बताया कि फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा की रात होलिका दहन के बाद परेवा से ही पूरा हिन्दुस्तान रंग, अबीर और गुलाल की होली खेलता है, लेकिन बुन्देलखंड के गांवों में होलिका दहन के अगले दिन अंझा (शोक) रहता है। परेवा के दिन होली नहीं खेलने की भी परम्परा सैकड़ों साल पुरानी है जो आज भी बुन्देली लोगों में कायम है। गांवों के बुजुर्गों ने बताया कि मथुरा में 15 दिनों तक होली खेलने की परम्परा है। कानपुर में आठ और बुन्देलखंड क्षेत्र में रंग पंचमी तक (पांच दिन) होली खेलने की परम्परा है, लेकिन आधुनिकता एवं व्यक्ति के समय की व्यस्तता के कारण अब यह ऐतिहासिक परम्परा कमजोर पड़ने लगी है।
समाजसेवी एवं साहित्यकार डाॅ.भवानीदीन ने बताया कि होलिका दहन के अगले दिन परेवा को वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई के पति गंगाधर राव की मौत हुई थी। बुन्देलों ने परेवा को होली न खेलकर अपने राजा की मौत पर शोक जताया था। तभी से पूरे बुन्देलखंड में परेवा के दिन अंझा रहता है। झांसी के समाजसेवी एवं पत्रकार रवि शर्मा ने बताया कि होली की परेवा के दिन अंग्रेजों ने कत्लेआम किया था। 1858 में अचानक अंग्रेजी फौजों ने झांसी में महारानी लक्ष्मीबाई का किला घेरकर हमला किया था जिसमें बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे।

बीहड़ के गांवों में होली की परेवा के दिन रहता है सन्नाटा
वयोवृद्ध पूर्व प्रधान बाबूराम प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि अंग्रेजी फौज के हमले में रानी लक्ष्मीबाई के पति गंगाधर राव की मौैत हुई थी इसीलिए होली की परेवा को होली नहीं मनाई जाती है। बीहड़ के गांवों में सन्नाटा भी पसरा रहता है। बुन्देलखंड के हमीरपुर, झांसी, ललितपुर, जालौन, बांदा, महोबा और चित्रकूट के अलावा मध्यप्रदेश के तमाम गांवों में भी होली की परेवा में रंग-गुलाल नहीं खेला जाता है। हालांकि यहां होलिका दहन के अगले दिन शहर और कस्बों में बच्चे होली के रंग में रंग जाते हैं।

होली की दूज से बुन्देलखंड में मचती है होली की धूम

होली की दूज से समूचे बुन्देलखंड के गांवों में रंग और गुलाल की होली की धूम मचती है। पत्रकार रवि शर्मा का कहना है कि कतिपय बीहड़ गांवों में कहीं-कहीं कुछ युवा होली खेलते हैं, लेकिन ज्यादातर होलिका के अगले दिन परेवा को होली नहीं खेले जाने की परम्परा को आज भी लोग निभा रहे हैं। वयोवृद्ध पूर्व प्रधान बाबूराम प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि होली की दूज के दिन पूरे क्षेत्र में होली का रंग और गुलाल चलता है। तमाम गांवों में नई पीढ़ी के लोग धुरेड़ी, कीचड़ और कपड़ा फाड़ होली भी खेलते हैं।
साभार-हिस

Share this news

About desk

Check Also

महाराष्ट्र के हिंगोली में हुई अमित शाह के हेलीकॉप्टर की चेकिंग

मुंबई। चुनाव आयोग की टीम ने शुक्रवार को हिंगोली हेलीपैड पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *