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रैपिड रेल प्रोजेक्ट: भारत में पहली बार प्रीकास्ट ट्रैक स्लैब तकनीक का इस्तेमाल

गाजियाबाद, दिल्ली से गाजियाबाद और मेरठ के बीच निर्माणाधीन रैपिड रेल प्रोजेक्ट में भारत में पहली बार प्रीकास्ट ट्रैक स्लैब तकनीक का इस्तेमाल कार्यदाई संस्था एनसीआरटीसी इस्तेमाल कर रही है।

एनसीआरटीसी के प्रवक्ता पुनीत वत्स ने सोमवार को बताया कि यह परियोजना 180 किमी प्रति घंटे की डिजाइन स्पीड की क्षमता वाला एक हाई स्पीड सिस्टम है। 160 किमी प्रति घंटे की ऑपरेटिंग स्पीड और प्रत्येक 5-10 किमी पर स्टेशन के साथ, यह एक घंटे में लगभग 100 किमी की दूरी तय करेगा। इतनी तेज गति से ट्रेन चलाने के लिए एक कुशल और योग्य रेल ट्रैक प्रणाली का होना बहुत जरूरी है।
उन्होंने बताया कि भारत में मेट्रो रेल परियोजनाओं में इस्तेमाल की जा रही मौजूदा बैलेस्टलैस ट्रैक प्रणाली आमतौर पर 95 किमी प्रति घंटे तक की डिजाइन स्पीड के लिए ही उपयुक्त है। देश में हाई स्पीड बैलेस्टलैस ट्रैक अनुभव के अभाव में, एनसीआरटीसी ने उच्च गति के लिए उपयुक्त ट्रैक सिस्टम का चयन करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचलित कई ऐसे रेल ट्रैक सिस्टम का अध्ययन किया जिसका रख-रखाव कम होने के साथ-साथ वह विश्वसनीय भी हो। इसके बाद, आरआरटीएस के ट्रैक सिस्टम के रूप में प्रीकास्ट स्लैब ट्रैक सिस्टम को चुना गया है।

उन्होंने बताया कि भारत में पहली बार इस तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। प्रीकास्ट ट्रैक स्लैब तकनीक उच्च क्षमता वाले बैलेस्टलैस ट्रैक स्लैब का उत्पादन करती है जिनका जीवन काल लंबा होता है और कम रखरखाव की आवश्यकता होती है। इसके कारण, ट्रैक के रख-रखाव की कुल लागत भी कम होती है।
वत्स ने बताया कि इन प्रीकास्ट ट्रैक स्लैब का निर्माण मेरठ के शताब्दी नगर स्थित एक कारखाने में किया जा रहा है। ये ट्रैक स्लैब आमतौर पर 4 मीटर x 2.4 मीटर आकार के होते हैं और इलास्टोमेर को एक सेपेरेशन लेयर के रूप में प्रयोग करते हैं। इन ट्रैक स्लैब के निर्माण में उच्च गुणवत्ता वाले कंक्रीट का उपयोग किया जा रहा है, जिसके कारण इसमें उच्च क्षमता और बहुत अच्छी फिनिशिंग है। प्रीकास्ट ट्रैक स्लैब का निर्माण मेक इन इंडिया के तहत किया जा रहा है।
इस ट्रैक तकनीक की मदद से एनसीआरटीसी हाई स्पीड और हाई फ्रीक्वेंसी आरआरटीएस ट्रेनें चलाने में सक्षम होगी और संचालन के दौरान क्रमशः 180 किमी प्रति घंटे और 100 किमी प्रति घंटे की औसत गति के साथ यात्रियों की सुरक्षा और आराम को सुनिश्चित करेगी।
साभार-हिस

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