हिसार, भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष कैप्टन भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि कोरोना महामारी में माता-पिता को खोने वाले बच्चों के लिए हरियाणा सरकार ने मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना लागू की है। इस योजना के तहत अनाथ हुए बच्चों को 18 वर्ष तक 2500 रुपये मासिक आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी, जिससे उनकी पढ़ाई भी प्रभावित नहीं होगी।
भाजपा जिला अध्यक्ष कैप्टन भूपेन्द्र ने सोमवार को योजना का ब्यौरा देते हुए बताया कि योजना के तहत बाल सेवा संस्थान में रहने वाले बच्चों के आवर्ती जमा खाते खोले जाएंगे, जिसमें 18 वर्ष की आयु तक 1500 रुपये जमा करवाने का प्रावधान किया गया है। इन बच्चों को सरकार ने अन्य खर्चों के लिए 12 हजार रुपये वार्षिक देने का निर्णय भी लिया है। किशोरियों के खाते में 51 हजार रुपये जमा किए जाएंगे तथा विवाह के समय ब्याज सहित शगुन दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि बच्चों के माता-पिता अथवा उनमें से किसी एक का कोरोना के कारण निधन होने से जो बच्चे अनाथ हो गए हैं, ऐसे बच्चों के लालन-पालन पर बुरा असर पड़ना स्वाभाविक है। ऐसे अनाथ बच्चों की सहायता के लिए मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत सरकार उनकी देखभाल करेगी। सरकार द्वारा जारी हिदायतों के अनुसार मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत यह प्रक्रिया पूरा करने के लिए www.wcdhry.gov.in अथवा www.cdhry.gov.in पर भी आवेदन किए जा सकते हैं।
कैप्टन भूपेन्द्र ने कहा कि योजना के तहत 18 वर्ष तक 2500 रुपये प्रति बच्चा प्रति महीना, बिना परिवार के बच्चों की देखभाल करने वाले बाल देखभाल संस्थान को 1500 रुपये प्रति बच्चा प्रतिमास 18 वर्ष तक की आयु तक, अन्य पूरा खर्चा बाल देखभाल संस्थान द्वारा वहन किया जाएगा। इसी प्रकार 18 वर्ष तक पढ़ाई के दौरान प्रतिवर्ष 12000 रुपये अन्य खर्चों के लिए भी सरकार द्वारा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि आठवीं से 12वीं या व्यावसायिक पाठ्यक्रम में किसी भी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को टेबलेट की सुविधा भी प्रदान की जाएगी।
उन्होंने बताया कि 18 वर्ष की आयु पूरी करने पर पीएम केयर्स द्वारा 10 लाख रुपये का कोष, 18 वर्ष की आयु से अगले पांच वर्षों तक उच्च शिक्षा की अवधि के दौरान मासिक वित्तीय सहायता/छात्रवृत्ति तथा 23 वर्ष की आयु पूरी करने पर बच्चे को व्यक्ति और व्यावसायिक उपयोग के लिए एकमुश्त राशि दी जाएगी। उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान इस प्रकार के पीड़ित बच्चों व उनके परिजनों से अपील की कि वे जल्द से जल्द बच्चों के माता-पिता का ब्यौरा महिला एवं बाल विकास अधिकारी अथवा जिला बाल संरक्षण अधिकारी कार्यालय में जमा करवाएं ताकि उन्हें समय रहते योजना का लाभ मिल सके।
साभार-हिस