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मूल्य आधारित शिक्षा देने पर शैक्षणिक संस्थान दें जोर – द्रोपदी मुर्मू

  • ब्रह्माकुमारीज इश्वरीय विश्वविद्यालय से सीख लेने का किया आह्वान

  • बच्चों की चिंता और उसका समाधान करना बड़ी चुनौती

हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर/ आबू रोड

आज के जीवन में मूल्य आधारित शिक्षा देने पर जोर दिये जाने की जरूरत है. परमात्मा ने मानव को सबसे महत्वपूर्ण रुप में बनाया, लेकिन आज हम भटक गये हैं. अतः हमें मूल्य आधारित शिक्षा ही इस भटकाव से मंजिल की तरफ ले जा सकती है. उक्त बातें झारखंड की राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू ने कहीं. वह शांतिवन, माउंट आबू में ब्रह्माकुमारीज इश्वरीय विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित मूल्य शिक्षा महोत्सव 2020 को संबोधित कर रही थीं. उन्होंने कहा कि हमारे देश की प्रचीन गुरुकुल की शिक्षा व्यवस्था सबसे उत्कृष्ट थी, जिससे पूरी दुनिया में भारत को गुरु का दर्जा दिलाया. आज भारत सबसे युवा देश है. एक आंकड़े के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या का 65 फीसदी आबादी युवाओं की है. इसलिए युवाओं के लिए मूल्य आधारित शिक्षा जरूरी है.

उन्होंने बताया कि गोपालकृष्ण गोखले ने सौ साल पहले बच्चों के लिए अनिवार्य शिक्षा की वकालत की थी. तब 14 साल तक के बच्चों के लिए संवैधानिक शिक्षा का अधिकार प्रदान किया गया. इसके बाद 2002 में संविधान संशोधन के बाद सबके लिए शिक्षा अनिवार्य की गई. इस दौरान अब ब्रह्मकुमारीज इश्वरीय विश्वविद्यालय जो शिक्षा प्रदान कर रही है, उसे अन्य शैक्षिणक संस्थानों को भी अनुसरण करने की जरूरत है, क्योंकि भारतीय शिक्षा का इतिहास सभ्यता का इतिहास रहा है.

इसलिए आज हमें मूल्य आधारित शिक्षा देने पर जोर देने की जरूरत है. आज बच्चों को शिक्षा को लेकर बड़ी चिंता का विषय है. उनकी इस समस्या का समाधान करना बड़ी चुनौती है. राज्यपाल ने दीक्षांत समारोह में डिग्री हासिल करने वाली प्रतिभाओं को शुभकामनाएं देते हुए मूल्यों को सामान्य जीवन में उतारने का संकल्प लेना का आह्वान किया.

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