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कई मुस्लिम संगठनों ने फैसले पर पुनर्विचार करने की रखी मांग
नई दिल्ली, सऊदी अरब सरकार की तरफ से तबलीगी जमात पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भारत के मुसलमानों में सऊदी अरब के खिलाफ जोरदार आक्रोश दिखाई पड़ रहा है। मुस्लिम संगठनों ने सऊदी अरब के इस फैसले पर आश्चर्य व्यक्त करत हुए इसे गैर मुनासिब करार दिया है और कहा है कि सऊदी अरब सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। विश्व प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद, जमीयत उलमा-ए-हिंद के दोनों धड़ों सहित अन्य संगठनों की तरफ से इस फैसले की कड़ी निंदा की जा रही है और सवाल किया जा रहा है कि आखिर सऊदी अरब प्रशासन की तरफ से इस तरह की बातें तबलीगी जमात को लेकर क्यों की जा रही हैं?
विश्व प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम (चांसलर) मौलाना अबुल कासिम नोमानी ने सऊदी अरब सरकार की तरफ से तबलीगी जमात के खिलाफ उठाए गए कदम की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि तबलीगी जमात के संस्थापक मौलाना इलियास कंधालवी दारुल उलूम देवबंद के उस्ताद थे और वह देवबंद की विचारधारा से जुड़े हुए थे। उनका कहना है कि तबलीगी जमात का काम पूरे विश्व में फैला हुआ है और जमात के लोग मुसलमानों को सीधे रास्ते पर लाने के प्रयास में जुड़े हुए हैं। सऊदी अरब प्रशासन की तरफ से जमात पर जो आरोप लगाए गए हैं, वह बेबुनियाद हैं। इसलिए सऊदी अरब सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
तबलीग़ी जमात के खि़लाफ़ सऊदी अरब के इस्लामी व धार्मिक मामलों के मंत्रालय के बयान को देखते हुए जमीयत उलमा-ए-हिन्द अरशद मदनी ग्रुप के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने भारत में में सऊदी के राजदूत सऊद मोहम्मद बिन साती से मुलाक़ात की है। मदनी ने मुलाकात के दौरान तबलीग़ी जमात के सिलसिले में सऊदी अरब के धार्मिक मामलों के मंत्रालय के बयान पर पूरी दुनिया के मुसलमानों की चिंता से उन्हें अवगत कराया। मौलाना ने कहा कि तबलीगी जमात देवबंदी मकतब-ए-फिक्र की जमात है। इसलिए यह बात दारुल उलूम देवबंद और जमीयत उलमा-ए-हिन्द के लिए भी चिंता की बात है।
उनका कहना है कि सऊदी अरब सरकार अपने देश के अंदर जमात के बारे में क्या विचार रखती है, हमें इससे कोई बहस नहीं है और न हमने कभी इस सिलसिले में कोई बात की है लेकिन इस वक़्त धार्मिक मामलो के मंत्रालय की जानिब से तबलीगी जमात पर जिस तरह के आरोप लगाए गए हैं, वह सिर्फ तब्लीगी जमात के लिए ही नहीं बल्कि तमाम मुसलामानों और खास तौर पर दीन और मजहब से जुड़े लोगों के लिए तकलीफ का विषय है। हमने यह चाहा कि हम अपनी इस तकलीफ़ और जज़्बात को सऊदी अरब के राजदूत के जरिए धार्मिक मामलों के मंत्रालय तक पहुंचाएं। राजदूत मोहतरम ने मेरे खत को पढ़ा और इस विषय पर खुल कर बात चीत की और इस सिलसिले में मुझे बेहतर से बेहतर योगदान देने का आश्वासन दिया है।
तबलीगी जमात को लेकर उठ रही चर्चाओं पर संज्ञान लेते हुए जमीयत उलमा-ए-हिंद के महमूद मदनी ग्रुप के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा है कि तबलीगी जमात का संरक्षण और उसका समर्थन करना उलेमा हजरात का कर्तव्य है। तबलीगी जमात इस समय दुनिया की सबसे बड़ी शांतिपूर्ण धार्मिक सुधार एवं निर्माण (दीनी व तामीरी) वाली जमात और अभियान है। इस जमात ने अपने सौ वर्षीय इतिहास में मुस्लिम नौजवानों को मयखानों से निकालकर मस्जिदों में लाने, अल्लाह के बंदों को अल्लाह से मिलाने और बुराई के मार्ग से हटाकर भलाई व अच्छाई के मार्ग पर लगाने का काम किया है।
उनका कहना है कि पूरी मानवता के लिए यह अत्यधिक भलाई वाली जमात है। जो लोग या सरकारें, इनका विरोध कर रहे हैं, वह वास्तविकता से परिचित नहीं है बल्कि यह तथ्यहीन प्रोपेगेंडा से प्रभावित हैं। मौलाना महमूद मदनी ने तबलीगी जमात पर उठे वाद-विवाद पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि दावते हक़ (सत्य की ओर आमंत्रण) को बड़ी से बड़ी शक्ति न रोक सकी है और न रोक सकेगी। लेकिन इस के साथ ही हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि अहले हक़ (सत्य पर चलने वालों) को हर दौर में क़ुर्बानी देनी पड़ी है। उनको परेशानियों और चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
साभार-हिस