अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। केंद्र सरकार ने मंदिर निर्माण के लिए 15 सदस्यीय ट्रस्ट की घोषणा कर दी। ट्रस्ट के सदस्यों में एक दलित वर्ग से होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में आज ट्रस्ट बनाने के एलान किया। वैसे दो महत्वपूर्ण खबरें अब तक सामने आई हैं।
पहली खबर यह कि राष्ट्रीय स्तर पर NRC (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर) राश्ट्रीय स्तर पर लागू करने का केंद्र सरकार का कोई प्रस्ताव नहीं है। आज यह खबर आयी कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने ट्रस्ट बना दिया है। खबरें ठीक उस वक्त आई हैं, जब दिल्ली का चुनाव सिर पर है। इसलिए प्रधानमंत्री की इस घोषणा में राजनीतिक स्वार्थ और लाभ के निहितार्थ से इनकार नहीं किया जा सकता। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर देश में इनदिनों बवाल मचा है। महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद झारखंड का चुनाव आते-आते ये तीनों मुद्दे केंद्र सरकार की ओर से जोरदार ढंग से उठाए-उछाले गए। माना यह जा रहा था कि भारतीय जनता पार्टी इन मुद्दों के सहारे आगे होने वाले विधानसभा चुनाव में भी अपने मतों को गोलबंद कर सकेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। तीनों राज्यों में भारतीय जनता पार्टी को मुंह की खानी पड़ी। विपक्ष की सरकारें बन गईं। दिल्ली विधानसभा चुनाव भी इन्हीं मुद्दों के सहारे भारतीय जनता पार्टी लड़ रही है।
भाजपा की कोशिश कामयाब और कारगर होगी, यह तो समय के गर्भ में है, लेकिन एनआरसी पर गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय का यह बयान काफी मायने रखता है कि राष्ट्रीय स्तर पर इसे लागू करने का कोई फैसला नहीं हुआ है। इन्हीं तीन मुद्दों को लेकर शाहीन बाग जैसे देशव्यापी आंदोलन देशभर में चल रहे हैं। लगता है, हालात का आकलन भाजपा ने कर लिया है। शायद यही वजह रही कि गृह मंत्री अमित शाह के इस बयान के पलट कि देशभर में एनआरसी लागू करके रहेंगे, नित्यानंद राय ने लिखित तौर पर संसद में बताया कि केंद्र सरकार का ऐसा कोई इरादा नहीं है। इस बीच एक और खबर भी आई कि सीएए के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने वाला बंगाल चौथा राज्य बन गया है।
दिल्ली के बाद बिहार और बंगाल के विधानसभा चुनाव होने हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की रणनीति कामयाब हो जाती है तो फिर से इन मुद्दों पर पार्टी मुखर होगी। कहा तो यह भी जा रहा है कि गोवध रोकने और समान नागरिक संहिता के लिए केंद्र सरकार अध्यादेश भी लाने की तैयारी में है। असल में भाजपा की यह सारी कवायद इसलिए है कि हिंदू वोटों को ध्रुवीकृत किया जा सके। यह सबको पता है कि भाजपा ने अपने एजेंडे लागू भी किये तो इन पर अमल में लंबा वक्त लगेगा। भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में इन्हीं मुद्दों को अपना हथियार बनाकर भुनाने की भरपूर कोशिश करेगी।