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ओडिशा में इंजीनियर बनने से दूर भाग रहे हैं बच्चे

  •  इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों को चुनने वाले छात्रों की संख्या में लगातार गिरावट

  •  नौकरी में कमी के कारण लगभग 10000 सीटें खाली

  •  किसी प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थान में सीट मिलने पर ही ले रहे हैं दाखिला

भुवनेश्वर. ओडिशा में इंजीनियर बनने से बच्चे दूर भागने लगे हैं. नौकरी के अवसरों की कमी के कारण ओडिशा में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों को चुनने वाले छात्रों की संख्या में लगातार गिरावट देखी जा रही है. ऐसे में किसी प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थान में सीट मिलने पर ही छात्र प्रवेश लेते नजर आ रहे हैं.
जानकारी के अनुसार, बी-टेक और डिप्लोमा दोनों पाठ्यक्रमों में स्थिति लगभग समान है. अब छात्रों को लगता है कि मौजूदा औद्योगिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रमों में संशोधन किया जा सकता है और बाजार परिदृश्य अधिक प्लेसमेंट बनाने में मदद कर सकता है.
एक इंजीनियरिंग छात्र ने कहा कि पिछले दो वर्षों में ऑनलाइन शिक्षा हमारे कौशल को विकसित करने में विफल रही है. अब हम परिसर में भाग लेने में असमर्थ हैं और अधिकांश समय हम नकली परिसर चयनों से ठगे जा रहे हैं. हम आभारी होंगे, अगर सरकार मदद करती है और हमें प्लेसमेंट मिलता है. एक अन्य इंजीनियरिंग छात्र ने भी सरकार से नौकरी के अवसर पैदा करने का आग्रह किया और कहा कि माता-पिता अपनी मेहनत की कमाई को हमारी शिक्षा पर खर्च कर रहे हैं, लेकिन रोजगार के अवसरों की कमी के कारण यह बर्बाद हो रहा है.
दूसरी ओर, कई इंजीनियरिंग कॉलेजों में सीटें कोविद-19 महामारी की स्थिति के कारण खाली पड़ी हैं और संस्थान भी कम नामांकन की समस्या का सामना कर रहे हैं.
एक आंकड़े के अनुसार ओडिशा में 121 निजी पॉलिटेक्निक और 35 सरकारी पॉलिटेक्निक संस्थान हैं, जिनमें लगभग 45000 छात्रों की नामांकन संख्या है. इसी तरह कुल 40000 सीटों वाले 80 इंजीनियरिंग कॉलेज हैं. जानकारी के अनुसार, लगभग 10000 सीटें कथित तौर पर खाली पड़ी हैं.
कोरोना महामारी की स्थिति ने कैंपस प्लेसमेंट को भी मुश्किल में डाल दिया है और कंपनियां भी नौकरी देने में कतरा रही हैं.
इसका संज्ञान लेते हुए हाल ही में प्राइवेट इंजीनियरिंग स्कूल्स एसोसिएशन द्वारा एक बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें राज्य सरकार और कौशल विकास तथा तकनीकी शिक्षा विभाग से रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम शुरू करने का आग्रह किया गया था.
एसोसिएशन के महासचिव सरोज कुमार साहू ने कहा कि रोबोटिक्स, मेक्ट्रोनिक्स और ऑटोमेशन के परिणामस्वरूप नौकरी में काफी गिरावट आयी है. अब छात्रों के कौशल को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए. छात्रों को उन्नत कौशल पर भी ध्यान देने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि छात्रों को उद्योग के लिए तैयार करने के लिए न केवल नए पाठ्यक्रम बल्कि नई तकनीकों को अपनाने की भी जरूरत है.
उत्कल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (यूसीसीआई) के अध्यक्ष ब्रह्मानंद मिश्र ने कहा कि ओडिशा जैसे राज्य में इतने सारे उद्योग हैं कि इस तरह की नौकरी के मुद्दे का सामना नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमने सरकार से एमएसएमई क्षेत्र को मजबूत करने का आग्रह किया है.

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