नई दिल्ली,उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने रविवार को देश में सिविल सेवाओं के नैतिक पुनरुत्थान का आह्वान किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विकास का लाभ जरुरतमंद लोगों तक पहुंचे।
इस संबंध में उन्होंने भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस और शासन के सभी स्तरों पर पूर्ण पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने का आग्रह किया। उन्होंने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसीए) के तहत भ्रष्ट लोक सेवकों और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ सख्त और समय पर कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने लोक सेवकों से जुड़े भ्रष्टाचार से संबंधित मामलों के लंबित मामलों को प्राथमिकता के आधार पर शीघ्र निपटाने का आह्वान किया।
साथ ही नायडू ने आगाह किया कि वास्तविक सक्रिय कार्रवाई करने वाले सिविल सेवकों को हतोत्साहित या परेशान नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा, “भ्रष्ट लोक सेवकों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए, लेकिन हमें अधिकारियों को व्यापक जनहित में साहसिक निर्णय लेने से नहीं रोकना चाहिए।”
उपराष्ट्रपति आज उपराष्ट्रपति निवास में झारखंड के पूर्व राज्यपाल और भारत सरकार के पूर्व कैबिनेट सचिव प्रभात कुमार द्वारा लिखित पुस्तक ‘लोक सेवा नैतिकता’ के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे। नायडू ने समाज के नैतिक मूल्यों में आई गिरावट के मद्देनजर व्यापक आधार वाले सामाजिक आंदोलन का आह्वान किया। इस संबंध में नायडू ने ईमानदार सिविल सेवकों की उपलब्धियों का जश्न मनाने और उनके योगदान को पहचानने का आह्वान किया। उन्होंने सुझाव दिया कि यह न केवल युवा अधिकारियों को उत्कृष्टता के लिए प्रेरित करने के लिए एक प्रोत्साहन होगा, बल्कि इस तरह के प्रचार से दूसरों द्वारा अभिनव प्रयासों की प्रतिकृति को भी प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने मीडिया को स्थानीय सिविल सेवकों के ऐसे योगदान को उजागर करने और उन्हें प्रोत्साहित करने की सलाह दी।
नायडू ने पुस्तक के लेखक प्रभात कुमार और प्रकाशक आईसी सेंटर फॉर गवर्नेंस को पुस्तक के प्रकाशन में उनके प्रयासों के लिए बधाई दी। कुमार की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्त वरिष्ठ सिविल सेवकों के लिए अपने समृद्ध अनुभव और ज्ञान को युवा अधिकारियों के साथ साझा करने और सार्वजनिक नीति के क्षेत्र में योगदान करने की काफी गुंजाइश है।
कार्यक्रम के दौरान झारखंड के पूर्व राज्यपाल और पूर्व कैबिनेट सचिव प्रभात कुमार, आईसी सेंटर ऑफ गवर्नेंस के उपाध्यक्ष महेश कपूर और महासचिव शांति नारायण के अलावा सेवारत और सेवानिवृत्त सिविल सेवक और अन्य लोग उपस्थित थे।
साभार-हिस