Home / National / हज कमेटियों के पुनर्गठन की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने 6 हफ्ते में जवाब तलब किया
IAT NEWS INDO ASIAN TIMES ओडिशा की खबर, भुवनेश्वर की खबर, कटक की खबर, आज की ताजा खबर, भारत की ताजा खबर, ब्रेकिंग न्यूज, इंडिया की ताजा खबर

हज कमेटियों के पुनर्गठन की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने 6 हफ्ते में जवाब तलब किया

  •  राज्य हज कमेटियों, केंद्रीय हज कमेटी, विदेश मंत्रालय, अल्पसंख्यक मंत्रालय और हज सेल से मांगा जवाब

नई दिल्ली, केंद्रीय हज कमेटी के पूर्व सदस्य और ऑल इंडिया हज सेवा समिति के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष हाफिज नौशाद अहमद आजमी ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करके हज कमेटियों के पुनर्गठन की मांग की है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत हज विधेयक 2002 के सेक्शन 3 एवं 4 के अनुसार केंद्रीय हज कमेटी का पुनर्गठन करने की मांग की है। इसके साथ ही हज एक्ट के सेक्शन 17 और 18 के अंतर्गत राज्य हज कमेटियों का पुनर्गठन और फंड के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए ठोस आदेश जारी करने की गुहार लगाई गई है। इसपर सुनवाई करते हुए जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर की अध्यक्षता वाली बेंच ने 6 सप्ताह के अंदर सभी राज्य एवं केंद्रीय हज कमेटियों, विदेश एवं अल्पसंख्यक मंत्रालय और हज सेल से जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता के मुताबिक अनुच्छेद 32 के अंतर्गत जनहित याचिका हज यात्रा को आसान बनाने के लिए दाखिल की गई है। याची ने कहा कि उनके द्वारा एक साल से इस सिलसिले में सम्बंधित अधिकारियों से गुहार लगाई जा रही है लेकिन अभी तक उसका कोई नतीजा नहीं निकला है। हज-2022 का ऐलान नवंबर 2022 में हो चुका है। मजबूर होकर माननीय उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया है।

सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता तल्हा अब्दुर्रहमान के हाथों 25 अक्टूबर 2021 को दायर की जाने वाली जनहित याचिका में केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय व विदेश मंत्रालय व हज कमेटी ऑफ इंडिया के अतिरिक्त 19 राज्य हज कमेटियों को भी को पार्टी बनाया गया है। इसमें मांग की गई है कि धारा 4 के तहत यात्रियों के जरिए जमा कराई जाने वाली धनराशि का उचित इस्तेमाल किया जाए।

याचिका इसलिए भी दायर की गई है कि संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 25, 26 एवं 21 अंतर्गत याची और आम जनता के अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। राज्य और केंद्रीय हज कमेटियों का गठन करने में केंद्र सरकार नाकाम रही है। इससे न सिर्फ हज विधेयक-2002 की अवहेलना हो रही है बल्कि देश के हज यात्रियों को अपनी समस्याओं का समाधान कराने में बाधा हो रही है। याची ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि हज विधेयक 2002 की धारा 4 के अंतर्गत राज्य एवं केंद्रीय हज कमेटी के फंड का गलत इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। जनवरी 2021 में खारघर मुंबई में एक प्लॉट हज कमेटी के जरिए 14 करोड़ रुपये में खरीदा गया है। यहां पर कैंप कार्यालय स्थापित करने का बोर्ड वहां लगाया गया है। हज विधेयक 2002 के तहत प्रादेशिक कार्यालय खोलने का प्रावधान है। एक ही शहर में केंद्रीय कार्यालय व प्रादेशिक कार्यालय नहीं खोला जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि इस कार्य पर रोक लगाई जाए।

कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए 6 सप्ताह के अंदर सभी राज्य हज कमेटियों व केंद्रीय हज कमेटी, विदेश मंत्रालय, अल्पसंख्यक मंत्रालय, हज मंत्रालय से जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता हाफिज नौशाद आजमी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े व तल्हा अब्दुर्रहमान ने बहस करते हुए मुंबई खारघर में जो कैंप कार्यालय के नाम पर जमीन खरीदी गई है, उस पर स्थगन आदेश मांगा। इसपर कोर्ट ने कहा कि उनका जवाब आने दीजिए फिर इसको देखेंगे। हाफिज नौशाद अहमद ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि हम कोर्ट के शुक्रगुजार हैं कि उन्होंने हमारी जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए गंभीरता से सुना और सम्बंधित मंत्रालय और विभागों को नोटिस जारी किया है।
साभार-हिस

Share this news

About desk

Check Also

IAT NEWS INDO ASIAN TIMES ओडिशा की खबर, भुवनेश्वर की खबर, कटक की खबर, आज की ताजा खबर, भारत की ताजा खबर, ब्रेकिंग न्यूज, इंडिया की ताजा खबर

मंदिरों का सरकारीकरण नहीं, सामाजीकरण हो: डॉ. सुरेंद्र जैन

नई दिल्ली।तिरुपति मंदिर में प्रसादम् को गम्भीर रूप से अपवित्र करने से आहत विश्व हिंदू …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *