जम्मू. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यहां भारतीय सैनिकों की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि जब मैं यहां नौशेरा की पवित्र भूमि पर उतरा, यहां की मिट्टी का स्पर्श किया तो एक अलग ही भावना, एक अलग ही रोमांच से मेरा मन भर गया. यहां का इतिहास भारतीय सेना की वीरता का जयघोष करता है, हर चोटी से वो जयघोष सुनाई देता है. यहां का वर्तमान आप जैसे वीरजवानों की वीरता का जीता-जागता उदाहरण है. वीरता का जिंदा सबूत मेरे सामने मौजूद है. नौशेरा ने हर युद्ध का, हर छद्म का, हर षड्यंत्र का माकूल जवाब देकर कश्मीर और श्रीनगर के प्रहरी का काम किया है. आज़ादी के तुरंत बाद ही दुश्मनों ने इस पर नज़र गड़ा कर के रखी हुई थी. नौशेरा पर हमला हुआ, दुश्मनों ने ऊंचाई पर बैठकर इस पर कब्जा जमाने की कोशिश की और अभी जो मुझे विडियो देखकर सारी चीजें मुझे देखने-समझने का मौका मिला और मुझे खुशी है कि नौशेरा के जाबाजों के शौर्य के सामने सारी साजिशें धरी की धरी रह गईं .
उन्होंने रहा कि भारतीय सेना की ताकत क्या होती है, इसका अहसास दुश्मन को शुरूआत के दिनों में ही लग गया था. मैं नमन करता हूं नौशेरा के शेर, ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को, नायक जदुनाथ सिंह को, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया. मैं प्रणाम करता हूँ लेफ्टिनेंट आरआर राणे को जिन्होंने भारतीय सेना की जीत का रास्ता प्रशस्त किया था. ऐसे कितने ही वीरों ने नौशेरा की इस धरती पर गर्व की गाथाएं लिखी हैं, अपने रक्त से लिखी हैं, अपने पराकम से लिखी हैं, अपने पुरुषार्थ से लिखी हैं, देश के लिए जीने-मरने के संकल्पों से लिखी हैं. अभी मुझे ये मेरा सौभाग्य था कि दिवाली के इस पवित्र त्यौहार पर मुझे आज दो ऐसे पहापुरुषों का आर्शीवाद प्राप्त करने का सौभाग्य मिला, वो मेरे जीवन में एक प्रकार से अनमोल विरास्त है. मुझे आर्शीवाद मिले श्री बलदेव सिंह और श्री बसंत सिंह जी, ये दोनों महापुरुष बाल्यकाल में मां भारती की रक्षा के लिए फौज के साथ-साथ कंधे से कंधा मिलाकर साधनों के आभाव के बीच भी और आज जब मैं सुन रहा था उनको वही जज्बा था भई, वही मिजाज था और वर्णन ऐसे कर रहे थे जैसे आज ही, अभी से लड़ाई के मैदान से आएं हैं, ऐसा वर्णन कर रहे थे. आज़ादी के बाद हुए युद्ध में ऐसे अनेकों स्थानीय किशोरों ने ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान के मार्गदर्शन में बाल सैनिक की भूमिका निभाई थी.
उन्होंने अपने जीवन की परवाह न करते हुए उतनी कम उम्र में देश की सेना के साथ कंधे से कंधा मिलकार के काम किया था, सेना की मदद की थी. नौशेरा के शौर्य का ये सिलसिला तबसे जो शुरू हुआ, ना कभी रूका है, ना कभी झुका है, यही तो नौशेरा है. सर्जिकल स्ट्राइक में यहाँ की ब्रिगेड ने जो भूमिका निभाई, वो हर देशवासी को गौरव से भर देता है और वो दिन तो मैं हमेशा याद रखूंगा क्योंकि मैं कुछ तय किया था कि सूर्यास्त के पहले सब लोग लौट कर के आ जाने चाहिए और मैं हर पल फोन की घंटी पर टिक-टिका कर के बैठा हुआ था कि आखिर से आखिर का मेरा जवान पहुंच गया क्या और कोई भी नुकसान किये बिना ये मेरे वीर जवान लौट कर के आ गए, पराक्रम करके आ गए, सिद्धि प्राप्त करके आ गए. सर्जिकल स्ट्राइक के बाद यहाँ अशांति फैलाने के अनगिनत कुत्सित प्रयास हुए, आज भी होते हैं, लेकिन हर बार आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब मिलता है. असत्य और अन्याय के खिलाफ इस धरती में एक स्वाभाविक प्रेरणा है. माना जाता है और मैं मानता हूं ये अपने आप में बड़ी प्रेरणा है, ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने भी अज्ञातवास के दौरान अपना कुछ समय इसी क्षेत्र में व्यतीत किया था. आज आप सबके बीच आकर, मैं अपने आपको यहाँ की ऊर्जा से जुड़ा हुआ महसूस कर रहा हूं.