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जस्टिस संजीव सचदेवा ने दिल्ली के पटाखा व्यापारियों को याचिका वापस लेने की दी अनुमति
नई दिल्ली, दिल्ली हाईकोर्ट ने दीवाली में पटाखों के रखने, बेचने और उसके इस्तेमाल पर पूर्ण रूप से रोक लगाने के दिल्ली सरकार के फैसले को चुनौती देनेवाली याचिका खारिज कर दिया है। जस्टिस संजीव सचदेवा ने दिल्ली की पटाखा व्यापारियों को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।
दिल्ली के पचास से ज्यादा पटाखा व्यापारियों ने दिल्ली सरकार के पटाखों पर रोक के फैसले को चुनौती दी थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी ने आदेश दे रखा है। आपने गलत जगह याचिका दायर की है। याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की जानी चाहिए। कोर्ट ने पूछा कि क्या आपने एम्स के निदेशक का कल का इंटरव्यू देखा। उसके बाद पटाखा व्यापारियों की ओर से वकील रोहिणी मूसा ने याचिका को वापस लेने की अनुमति मांगी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने दिल्ली के बाहर पटाखों के बेचने की अनुमति मांगी। तब केंद्र सरकार की ओर से वकील कीर्तिमान सिंह ने कहा कि अगर ऐसा आदेश दिया जाता है तब पूरे देश में कहीं भी पटाखे बेचने के लिए इस आदेश का दुरुपयोग किया जा सकता है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी की ओर से पेश वकील बालेंदु शेखर ने कहा कि याचिकाकर्ता ये बताएं कि वे कितना पटाखा दिल्ली के बाहर बेचना चाहते हैं। तब दिल्ली सरकार ने पूछा कि दिल्ली के पटाखे बाहर भेजने के लिए यह बताना जरुरी है कि ये जा कहां रहे हैं। तब कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि अगर स्वच्छ जगह का कोई व्यक्ति दिल्ली आता है और आप उसे पटाखा बेचते हैं तो भी आदेश का साफ-साफ उल्लंघन है।
सुप्रीम कोर्ट ने 29 अक्टबूर को पटाखों पर अंतरिम आदेश देते हुए कहा था कि पटाखों पर बैन का उसका पहले का आदेश लोगों के स्वास्थ्य पर पड़नेवाले गलत प्रभाव के मद्देनजर दिया गया था। जस्टिस एमआर शाह की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि केंद्र और राज्य की एजेंसियों की ये जिम्मेदारी बनती है कि वो इस पर अमल सुनिश्चित करें। दूसरों की जिंदगी की कीमत पर उत्सव मनाने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दीपावली और अन्य त्यौहारों जैसे गुरुपर्व इत्यादि पर रात आठ बजे से दस बजे तक पटाखे चलाए जा सकेंगे। क्रिसमस और नववर्ष के अवसर पर रात 11 बजकर 55 मिनट से रात 12 बजकर तीस मिनट तक पटाखे चलाए जा सकेंगे। कोर्ट ने कहा था कि अगर किसी इलाका विशेष मे प्रतिबंधित सामग्री वाले पटाखों के उत्पादन या बिक्री की बात सामने आती है तो ऐसे में वहां के चीफ सेकेट्री, होम सेकेट्री, कमिश्नर , डीएसपी, एसएचओ तक की व्यक्तिगत जिम्मेदारी होगी। इसे गंभीरता से लिया जाएगा। कोर्ट के आदेश को धता बताने की इजाज़त नहीं दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ किया कि सभी पटाखों पर बैन नहीं है। सिर्फ उन्हीं पटाखों पर बैन लगाया गया है जो कि लोगों के ख़ासकर बुजुर्गों और बच्चों के स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है।
साभार-हिस