नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 16वें दुनिया के अमीर देशों के संगठन जी-20 और जलवायु परिवर्तन संबंधी मंच कॉप-26 के विश्व नेताओं के सम्मेलन में भाग लेने के लिए 29 अक्टूबर से 2 नवंबर तक रोम (इटली) और ग्लासगो (ब्रिटेन) की यात्रा करेंगे।
विदेश मंत्रालय के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी इटली के प्रधानमंत्री मारियो ड्रैगी के निमंत्रण पर 30-31 अक्टूबर तक रोम में 16वें जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। शिखर सम्मेलन में जी-20 सदस्य देशों, यूरोपीय संघ और अन्य आमंत्रित देशों के राष्ट्राध्यक्ष और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख भाग लेंगे। यह 8वां जी-20 शिखर सम्मेलन होगा, जिसमें प्रधानमंत्री भाग लेंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी इटली के प्रधानमंत्री सहित कई द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे।
जी-20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए बना प्रमुख वैश्विक मंच है। भारत पहली बार 2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाला है। इटली की अध्यक्षता के तहत आगामी शिखर सम्मेलन ‘जन, ग्रह, समृद्धि’ विषय के आस-पास केंद्रित है। इसमें महामारी से उबरने और वैश्विक स्वास्थ्य व्यवस्था की मजबूती, आर्थिक सुधार और लचीलापन, जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा बदलाव एवं सतत विकास के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा विषयों पर चर्चा होगी।
मंत्रालय के अनुसार इसके बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री मोदी जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) में विभिन्न पक्षों के 26वें सम्मेलन (कॉप-26) के ‘वर्ल्ड लीडर्स समिट’ में भाग लेने ग्लासगो की यात्रा करेंगे।
कॉप-26 का आयोजन 31 अक्टूबर से 12 नवंबर तक ब्रिटेन की अध्यक्षता में इटली के साथ साझेदारी में किया जा रहा है। कॉप-26 का उच्च-स्तरीय खंड यानी वर्ल्ड लीडर्स समिट 1-2 नवंबर को आयोजित किया जाएगा। शिखर सम्मेलन में 120 से अधिक देशों के राष्ट्राध्यक्ष एवं शासनाध्यक्ष भाग लेंगे। कॉप-26 को पहले 2020 में आयोजित किया जाना था, लेकिन कोरोना महामारी को देखते हुए इसे 2021 तक के लिए टाल दिया गया था।
यूएनएफसीसीसी जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक इच्छाशक्ति और दृष्टिकोण का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने पिछली बार 2015 में पेरिस में कॉप-21 में भाग लिया था। उस दौरान पेरिस समझौता संपन्न हुआ था, जिसका कार्यान्वयन इस वर्ष शुरू हुआ है।
कॉप-26 में विभिन्न पक्ष पेरिस समझौते के कार्यान्वयन पर काम करेंगे। इसके अलावा सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए वित्तीय साधन जुटाना, जलवायु अनुकूलन, प्रौद्योगिकी विकास और हस्तांतरण को मजबूत करने के लिए कार्रवाई और वैश्विक तापमान में वृद्धि को सीमित करने के पेरिस समझौते के लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए मजबूत कार्यनीति बनेगी।
प्रधानमंत्री कॉप-26 के दौरान कई द्विपक्षीय बैठकें करेंगे, जिसमें ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से मिलना भी शामिल है।
साभार-हिस