भुवनेश्वर. केन्द्रीय शिक्षा, कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने शुक्रवार को झारखंड व आध्र प्रदेश में ओड़िया भाषा की सुरक्षा को लेकर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को अलग-अलग पत्र लिखा है. उन्होंने इस पत्र में इन दोनों राज्यों में ओड़िया भाषा के हितों महत्व देने के लिए व्यक्तिगत रुप से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है.
प्रधान ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिख कर कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्य की प्राप्ति करने के लिए झारखंड में ओड़िया भाषा भाषी स्कूलों के छात्र-छात्राओं के हितों की रक्षा करने के लिए हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है.
प्रधान ने कहा कि झारखंड राज्य के गठन किये जाने के बाद यह सुनिश्चित किया गया था कि वहां रहने वाले ओड़िया भाषाभाषी लोगों के अधिकारों की रक्षा की जाएगी. 2011 में झारखंड सरकार ने ओड़िया समेत पांच भाषाओं को दूसरी सरकारी भाषा के रुप में मान्यता प्रदान की थी. रांची विश्वविद्यालय में ओड़िया विभाग है तथा स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम हैं. झारखंड लोकसेवा आयोग व स्टाफ सिलेक्शन कमिशन में भी ओड़िया को इच्छाधीन विषय के रुप में शामिल किया गया है.
उन्होंने कहा कि झारखंड के सीमावर्ती इलाकों में ओड़िया विद्यालयों को झारखंड राज्य शिक्षा विभाग हिन्दी माध्यम के स्कूलों में मिला रही है. वहां ओड़िया छात्र-छात्राओं की संख्या व कर्मचारी कम होने की बात कह कर यह किया जा रहा है. यह मेंटेनेंस आफ प्रोमोशन आफ लिंगुइस्टिक डाइवर्सिटी आफ लिंगुउस्टिक माइनोरिटी के खिलाफ है.
उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति में छात्रों को अपनी मातृभाषा में पढ़ाई को राज्य सरकार को सुनिश्चित करना होगा. इसे ध्यान में रखकर झारखंड सरकार से कदम उठाने के लिए उन्होंने अनुरोध किया है. इसी तरह का एक पत्र प्रधान ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी को भी लिखा है.