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सीमावर्ती क्षेत्रों में अपनी सड़कों का ‘सुरक्षा ऑडिट’ करेगा बीआरओ

  •  मित्र देशों में भी पुलों, हवाई अड्डों, सुरंगों और सड़कों का निर्माण और रखरखाव करता है बीआरओ

  •  पहाड़ी और बर्फ़ीले क्षेत्रों में सड़कों की मानक परिचालन प्रक्रियाओं को निर्धारित करने पर जोर

नई दिल्ली, देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क बनाने वाला रक्षा मंत्रालय के अधीन सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) दुर्घटना की संभावनाओं को कम करने के लिए अपनी मौजूदा सड़कों का ‘सुरक्षा ऑडिट’ कराएगा। सभी मौसमों, ऊंचाइयों और ऋतुओं के दृष्टिकोण से बीआरओ सीमावर्ती क्षेत्रों में तेजी के साथ बुनियादी ढांचा मजबूत कर रहा है। उन्नत प्रौद्योगिकी और परिष्कृत सड़क निर्माण मशीनों और उपकरणों की उपलब्धता ने भी सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क निर्माण की गति को तेज किया है।

बीआरओ की सड़कों का उपयोग न केवल सशस्त्र बल और अर्धसैनिक बल करते हैं, बल्कि पूरे देश के पर्यटकों और साहसिक कारनामों के शौकीन भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करते हैं। ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में सड़कों का बुनियादी ढांचा संपर्क पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही सामाजिक और आर्थिक विकास में योगदान देता है। इससे सशस्त्र बलों के लिए आवश्यक आपूर्ति की आवाजाही भी पूरे साल खुली रहती है। पर्यटक और साहसिक कारनामों के शौकीनों के यहां आने से यातायात और वाहनों की आवाजाही बढ़ी है, इसलिए यातायात संबंधी दुर्घटनाओं में भी वृद्धि हुई है। सड़क निर्माण और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को इन मानवीय पहलुओं से निपटना चुनौतीपूर्ण रहा है।
बीआरओ ने अब अपनी निर्मित सड़कों और पुलों की दुर्घटना की संभावना को कम करने के लिए एक खाका तैयार किया है और मौजूदा सड़कों और पुलों के ऑडिट के लिए एक व्यापक अभ्यास शुरू किया है। इसी के तहत नई दिल्ली के बीआरओ मुख्यालय में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर रोड सेफ्टी अवेयरनेस (सीओईआरएसए) की स्थापना करके महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। यह सभी नीतियों के निर्माण और मानक संचालन को परिभाषित करने के लिए एक नोडल एजेंसी होगी। सीओईआरएसए ने हाल ही में एक सड़क सुरक्षा संगोष्ठी का आयोजन किया और संगठन के विशेषज्ञों से सड़कों का ऑडिट कराने के लिए प्रारंभिक रूपरेखा तैयार की है।

सबसे पहले हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख राज्यों में बीआरओ की सभी परियोजनाओं का ऑडिट होगा क्योंकि इन हिमालयी क्षेत्रों में सर्दियां शुरू होने से दर्रे बंद हो जाते हैं और काम में बाधा आती है। यह अगले कार्य सत्र में शामिल किए जाने वाले सुधारों के लिए शीघ्र योजना बनाने में सक्षम होगा। बीआरओ का लक्ष्य मौजूदा सड़कों का चरणबद्ध तरीके से सड़क सुरक्षा ऑडिट करना है। इससे संभावित दुर्घटना स्थलों की पहचान करने, सड़क के किनारे साइनेज आदि में सुधार होगा। सड़क सुरक्षा जागरुकता के लिए राष्ट्रीय राजधानी में 14 अक्टूबर 2021 को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक से 75 दिनों का अखिल भारतीय मोटरसाइकिल अभियान शुरू होगा।
सड़क सुरक्षा ऑडिट पूरा होने के बाद भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के सहयोग से एक औपचारिक पद्धति तैयार की जाएगी। इसके लिए लेखा परीक्षकों के लिए व्यावहारिक ऑन-साइट प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी। अन्य मुद्दों के बीच विशेष रूप से पहाड़ी और बर्फ से ढके क्षेत्रों में सड़क निर्माण में बेहतर सुरक्षा पहलुओं को शामिल करने के लिए बीआरओ की निर्माण प्रथाओं की भी जांच होगी।
साभार-हिस

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