Home / National / आइए जानते हैं रक्षाबंधन पर 10 पवित्र स्नान की विधियां और इसके फायदे…!!!

आइए जानते हैं रक्षाबंधन पर 10 पवित्र स्नान की विधियां और इसके फायदे…!!!

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः
आज का हिन्दू पंचांग
दिनांक 20 अगस्त 2021
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत – 2078 (गुजरात – 2077)
शक संवत – 1943
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा
मास – श्रावण
पक्ष – शुक्ल
तिथि – त्रयोदशी रात्रि 08:50 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
नक्षत्र – उत्तराषाढा रात्रि 09:25 तक तत्पश्चात श्रवण
योग – आयुष्मान् शाम 03:32 तक तत्पश्चात सौभाग्य
राहुकाल – सुबह 11:06 से दोपहर 12:42 तक
सूर्योदय – 06:19
सूर्यास्त – 19:03
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण – प्रदोष व्रत, वरद लक्ष्मी व्रत, शिव पवित्रारोपण
विशेष – त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

रक्षाबंधन के पर्व पर दस प्रकार के स्नान

श्रावण महिने में रक्षाबंधन की पूर्णिमा 22 अगस्त 2021 रविवार वाले दिन वेदों में दस प्रकार का स्नान बताया गया है।
भस्म स्नान – उसके लिए यज्ञ की भस्म थोड़ी सी लेकर वो ललाट पर थोड़ी शरीर पर लगाकर स्नान किया जाता है। यज्ञ की भस्म अपने यहाँ तो है आश्रम में, पर समझो आप अपने घर पर किसी को बताना चाहें की यज्ञ की भस्म थोड़ी लगाकर श्रावणी पूर्णिमा को दसविद स्नान में पहले ये बताया है। तो वहाँ यज्ञ की भस्म कहाँ से आयेगी। तो गौचंदन धूपबत्ती घरों में जलाते हैं साधक। शाम को गौचंदन धूपबत्ती जलाकर जप करें अपने इष्टमंत्र, गुरुमंत्र का तो वो जलते जलते उसकी भस्म तो बचेगी ना। जप भी एक यज्ञ है, तो गौचंदन की भस्म भी यज्ञ की भस्म पवित्र मानी जाती है। वैसे गौचंदन है वह, देशी गाय के गोबर, जड़ीबूटी और देशी घी से बनती है। तो पहला भस्म स्नान बताया है।
मृत्तिका स्नान- यह स्नान सात पवित्र स्थानों की मिट्टी से की जाती है। आप इसे थोड़ा पानी में मिलाकर कर सकते हैं। मान्यता है कि इससे विचार पवित्र होंगे और शांति की अनुभूति मिलेगी।
गोमय स्नान – गोमय स्नान यानि गौ गोबर और  उसमें थोड़ा गोझरण मिक्स हो, उसका स्नान। उसका मतलब थोड़ा ले लिया और शरीर को लगा दिया, क्यों वेद में कहा गया है कि गौमाता के गोबर में (देशी गाय के) लक्ष्मी का वास है।

गोमय वसते लक्ष्मी पवित्रा सर्व मंगला। स्नानार्थम सम संस्कृता देवी पापं हर्गो मय।। तो हमारे भीतर भक्तिरूपी लक्ष्मी बढ़ती जाय, बढ़ती जाय जैसे गौ के गोबर में लक्ष्मी का वास वो हमने थोड़ा लगाकर स्नान किया, हमारे भीतर भक्तिरूपी संपदा बढ़ती जाय। गीता में जो दैवी लक्षणों के 26 लक्षण बतायें हैं, वो मेरे भीतर बढ़ते जायें। ये तीसरा गोमय स्नान रहा।
पंचगव्य स्नान – गौ का गोबर, गोमूत्र, गाय के दूध के दही, गाय का दूध और घी ये पंचगव्य। कई बार आपको पता है पंचगव्य पीते हैं। इससे आसमान की विधि पूरा करें। आप जानते हैं कि पाँच तत्व से हमारा शरीर बना हुआ है। इस स्नान से वे सभी तत्व स्वस्थ रहेंगे, बलवान रहेंगे, ताकी सेवा और साधना करते रहे, भक्ति करते रहें।

गोरज स्नान – गायों के पैरों की मिट्टी थोड़ी ले ली, और उसे लगा ली। गवां ख़ुरेंम ये वेद में आता है। इसका नाम है दशविद स्नान और रक्षाबंधन के दिन किया जाता है। गवां ख़ुरेंम निर्धुतं यद रेनू गग्नेगतं। घनेग्ट सिरसा तेल सम्येते महापातक नाशनं।। अपने सिर पर वह गाय की खुर की मिट्टी लगा दी तो महापातक नाशनं। ये वेद भगवान कहते हैं।

धान्यस्नान –  सप्तधान्य स्नान सब आश्रमों में मिलता है। गेंहूँ, चावल, जौ, चना, तिल, उड़द और मुंग ये सात चीजे। इसे धान्यस्नान बताया गया है। धान्योषौधि मनुष्याणां जीवनं परमं स्मरतं तेन स्नानेन देवेश मम पापं व्यपोहतु। सप्तधान स्नान ये भी पूनम के दिन लगाने का विधान है।
फल स्नान – वेद भगवान कहते हैं फल स्नान मतलब कोई भी फल का थोड़ा रस लगा दिया। और कोई नहीं तो आँवला बढ़िया फल है। आँवला हरा तो मिलेगा नहीं तो आँवले का पाऊडर ले लिया और लगा लिया। हो फल स्नान। मतलब हमारे जीवन में अनंत फल की प्राप्ति हो और सांसारिक फल की आसक्ति छूट जाय। इसलिए आज पूर्णिमा को हे भगवान फल के रस से थोड़ा स्नान कर रहें हैं। किसी को और फल मिल जाये और थोड़ा लगा दिये जाय तो कोई घाटा नहीं हैं।
सर्वोषौधि स्नान – सर्वोषौधि माना आयुर्वेदिक औषधि खाना नहीं। इस स्नान में कई जड़ीबूटी आती हैं। उसमे दूर्वा, सरसों, हल्दी, बेलपत्र ये सब डालते हैं। इसका  पाऊडर शरीर पर रगड़ के स्नान किया जाता है। इसका मतलब है कि मेरी सब इन्द्रियाँ आँख, कान, नाक, जीभ,त्वचा ये सब पवित्र हो। इसमें सर्वोषौधि स्नान, और मेरा मन पवित्र रहें। मेरे मन में किसी के प्रति बुरे विचार न आये।
कुशोधक स्नान – इस स्नान के लिए कुश पानी में मिलाकर हिला दें। फिर इस पानी से स्नान करें। क्योंकि जो अपने घर में कुश रखते हैं ना तो उनके पास कोई मलिन आत्माएँ नहीं आ सकती। भूत, प्रेत आदि का जोर नहीं चलता कुश क्या है ? जब भगवान का धरती पर वराह अवतार हुआ था, तो उनके शरीर से वो उखणकर जमीन पर गिरने लगे वही आज कुश के रूप में पाये जाते हैं, वो परम पवित्र है। वह कुश जहाँ पर हो वहाँ पर मलिन आत्मा नहीं आती हो तो भाग जाती हैं। तो कुश पानी में हिला दिया और प्रार्थना कर दी की, मेरे मन में जो मलिन विचार हैं, गंदे विचार हैं या कभी कभी आ जाते हैं वो सब भाग जाये। हरि ॐ … हरि ॐ … ॐ ,… करके उसे पानी में नहा दिया।
हिरण्य स्नान – हिरण्य स्नान माने अगर अपने पास कोई सोने की चीज है या कोई सोने का गहना है तो  बाल्टी में डाल दिया, हिला दिया और स्नान कर लिया। हिलाने के बाद वो निकाल लेना, बाल्टी में पड़ा नहीं रहे।

तो ये दशविद स्नान वेद में बताया। श्रावण मास के पूर्णिमा का दिन किया जाता है।
जब शरीर पर पानी डाल रहे हैं तो ये श्लोक बोलना –
नमामि गंगे तव पाद पंकजं सुरासुरैः वंदित दिव्यरूपं।
भुक्तिचं मुक्तिचं ददासनित्यं भावानुसारें न सारे न सदा स्मरानाम।।
गंगेच यमुनेच गोदावरी सरस्वती नर्मदे सिंधु कावेरी। जलस्म्ये सन्निधिं कुरु।
ॐ ह्रीं गंगाय ॐ ह्रीं स्वाहा।।
तीर्थों का स्मरण करते हुये स्नान करें। तो ये बड़ा पुण्यदायी स्नान श्रावण पूर्णिमा (रक्षाबंधन) के दिन प्रभात को किया जाना चाहिये ऐसा वेद का आदेश है।
पंचक

22 अगस्त प्रात: 7.57 बजे से 26 अगस्त रात्रि 10.28 बजे तक
18 सितंबर दोपहर 3.26 बजे से 23 सितंबर प्रात: 6.45 बजे तक
एकादशी

सितंबर 2021: एकादशी व्रत

03 सितंबर: अजा एकादशी

17 सितंबर: परिवर्तिनी एकादशी

प्रदोष

20 अगस्त: प्रदोष व्रत

सितंबर 2021: प्रदोष व्रत

04 सितंबर: शनि प्रदोष

18 सितंबर: शनि प्रदोष व्रत

पूर्णिमा
अगस्त 2021
22 अगस्त रविवार श्रावण
सितंबर 2021
20 सितंबर सोमवार भाद्रपद

अमावस्या

07 सितंबर, मंगलवार भाद्रपद अमावस्या

शुभ दिनांक : 2, 11, 20, 29

शुभ अंक : 2, 11, 20, 29, 56, 65, 92

शुभ वर्ष : 2027, 2029, 2036
ईष्टदेव : भगवान शिव, बटुक भैरव
शुभ रंग : सफेद, हल्का नीला, सिल्वर ग्रे

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