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दुर्घटनाग्रस्त ध्रुव हेलीकॉप्टर का मलबा रंजीत सागर झील की 80 मीटर गहराई में मिला

  • खोज अभियान को आगे बढ़ाने के लिए भारत ने इजराइल से सहायता मांगी

  • इजराइल से मिलने वाले उपकरण कम गहराई में भी हो सकेंगे संचालित

नई दिल्ली, पंजाब और जम्मू-कश्मीर की सीमा पर कठुआ में 03 अगस्त को दुर्घटनाग्रस्त हुए भारतीय सेना के ध्रुव हेलीकॉप्टर के मलबे का कुछ हिस्सा रंजीत सागर झील में 80 मीटर की गहराई में 9वें दिन बुधवार को खोज लिया गया है। मलबे को बाहर निकालने में सहायता के लिए भारी मशीनों को मौके पर लाने की व्यवस्था की जा रही है। हालांकि दुर्घटना के दिन से ही सेना और नौसेना ने तलाशी अभियान चला रखा है लेकिन हेलीकॉप्टर के दोनों पायलटों का अभी तक पता नहीं चला है। खोज अभियान को आगे बढ़ाने के लिए भारत ने इजराइल से सहायता मांगी है।

भारतीय सेना के हेलीकॉप्टर ध्रुव (एएलएच मार्क-4) ने 03 अगस्त को सुबह 10.20 बजे पठानकोट के मामून कैंट से उड़ान भरी थी। हेलीकॉप्टर को सेना की आर्मी एविएशन के पायलट जयंत जोशी उड़ा रहे थे जबकि सह पायलट के रूप में उनके साथ लेफ्टिनेंट कर्नल एएस भट्ट थे। 30 मिनट बाद जब यह हेलीकॉप्टर रंजीत सागर झील के ऊपर पहुंचा तो पायलट ने नियंत्रण खो दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक हेलीकॉप्टर पहले एक पहाड़ी से टकराने की स्थिति में था लेकिन पायलट ने बहादुरी दिखाते हुए उसे पहाड़ी से टकराने से बचा लिया। इसके बाद देखते ही देखते सेना का हेलीकॉप्टर झील के ऊपर काफी नीचे मंडराने लगा और देखते ही देखते लड़खड़ाते हुए झील में गिर गया। शुरुआत में हेलीकॉप्टर का कुछ हिस्सा पानी के अन्दर और कुछ हिस्सा बाहर था लेकिन बाद में पूरा हेलीकॉप्टर पानी में समा गया।
सैन्य सूत्रों के मुताबिक यह इलाका घने जंगल और पहाड़ियों से घिरा है। सुरक्षा की दृष्टि से पंजाब और जम्मू-कश्मीर सीमा पर स्थित इस झील के आसपास मामून छावनी के हेलीकॉप्टर रोजाना गश्त करते हैं। हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होकर पानी में समाने की जगह झील की गहराई करीब 200 फीट है। गहराई ज्यादा होने की वजह से डूबे हेलीकॉप्टर को खोजने के लिए पंजाब सरकार के ‘विजया’ बेड़े समेत पांच मोटर बोट को लगाया गया। इसके अलावा हथियारयुक्त उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर रूद्र के चालक दल की तलाश के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और भारतीय नौसेना के गोताखोरों की टीमों को लगाया गया। सर्च ऑपरेशन के दौरान उसी दिन शाम को हेलीकॉप्टर का कुछ हिस्सा झील में तैरता हुआ बरामद हुआ जबकि बाकी हिस्सा तलहटी में पड़े होने की संभावना जताई गई। शाम छह बजे तक बचाव दल ने दोनों पायलटों के जूते, दो हेलमेट और 2 पिट्ठू बैग भी बरामद कर लिए लेकिन पायलटों का पता नहीं चला।

भारतीय सेना की पश्चिमी कमान के मुताबिक रंजीत सागर बांध का विशाल जलाशय 25 किमी. लंबा, 8 किमी. चौड़ा और 500 फीट से अधिक गहरा है। सेना के साथ समन्वय में भारतीय नौसेना के 02 अधिकारियों, 04 जूनियर कमीशंड अधिकारियों और 24 अन्य रैंक के साथ ऑपरेशन रेस्क्यू चलाया गया। इसके अलावा भारतीय सेना के गोताखोरों में 02 अधिकारी, 01 जूनियर कमीशंड अधिकारी और 24 अन्य रैंक के साथ के नौसेना को सहयोग किया। पश्चिमी कमान के मुताबिक मल्टी बीम सोनार, साइड स्कैनर, दूर से संचालित वाहन और अंडरवाटर मैनिपुलेटर्स को चंडीगढ़, दिल्ली, मुंबई और कोच्चि से लाकर ऑपरेशन में लगाया गया है। इसी का नतीजा रहा कि भारतीय सेना के ध्रुव हेलीकॉप्टर के मलबे का कुछ हिस्सा रंजीत सागर झील में 80 मीटर की गहराई में 9वें दिन खोज लिया गया है।
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों के अनुसार झील से हेलीकॉप्टर का मलबा निकालने के लिए विशेष उपकरणों की जरूरत है जिसके लिए इजराइल से संपर्क किया गया है। इजराइल से मिलने वाले उपकरण भारतीय प्रणालियों की तुलना में बहुत कम गहराई पर पानी के नीचे संचालित हो सकते हैं। भारत के पास ऐसे सिस्टम हैं जो बहुत गहरे स्तरों पर काम कर सकते हैं, वे आकार में बड़े होते हैं और नौसैनिक जहाजों पर सवार होते हैं, इसलिए उन्हें जलाशय में लाना संभव नहीं है। गोताखोर कम गहराई तक ही जा सकते हैं लेकिन इससे आगे जाने के लिए विशेष जहाजों की आवश्यकता होती है। सेना मुख्यालय से अंतरराष्ट्रीय सहायता के लिए समन्वय किया जा रहा है। झील में 60mX60m के एक छोटे से क्षेत्र को स्थानीयकृत किया गया है और कोच्चि से विशेष सोनार इक्प्ट को भेजा जा रहा है ताकि खोज अभियान अंतिम चरण में प्रवेश कर सके।
साभार – हिस

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