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पाकिस्तानी अखबारों सेः रहीमयार खान में मंदिर तोड़फोड़ घटना की गूंज, चीफ जस्टिस का सख्त रिमार्क

  •  पुलिस को लगाई लताड़, 3 दिन में एक भी आरोपित नहीं पकड़ सके, नौकरी पर बने रहने का हक नहीं

  •  केपीएल का उद्घाटन करते हुए पीओके के राष्ट्रपति का तंज, कहा- भारत इसे रुकवाने में नाकाम रहा

नई दिल्ली, पाकिस्तान से शनिवार को प्रकाशित अधिकांश अखबारों ने रहीमयार खान में मंदिर में तोड़फोड़ किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी आपत्ति से सम्बंधित खबरें छापी हैं। अखबारों ने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस गुलजार अहमद ने पुलिस प्रशासन पर हमला बोलते हुए कहा है कि 3 दिन में एक भी आरोपित को पकड़ नहीं पाए हैं। उनका कहना है कि ऐसे लोगों को नौकरी पर बने रहने का कोई हक नहीं है। उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। उनका कहना है कि मंदिर पर हमले की घटना के बाद पाकिस्तान की दुनियाभर में बदनामी हुई है। उन्होंने इस घटना में शामिल सभी लोगों को गिरफ्तार किए जाने की हिदायत दी है।मंदिर पर हमले की घटना के खिलाफ राष्ट्रीय असेंबली और सिंध एवं खैबर पख्तूनख्वा प्रांतीय असेंबली में भी सत्तापक्ष और विपक्ष ने एक सुर में प्रस्ताव पास कर इस घटना पर विरोध दर्ज कराया है। अखबारों ने पाकिस्तान के धार्मिक संगठनों, उलेमा और बुद्धिजीवियों की तरफ से भी मंदिर पर हमला किए जाने की कड़ी आलोचना और इस घटना में शामिल लोगों को गिरफ्तार किए जाने की मांग से सम्बंधित खबरें दी हैं।अखबारों ने एक बार फिर पाकिस्तान और अफगानिस्तान सीमा बाब-ए-दोस्ती को बंद किए जाने की खबरें दी हैं। अखबारों ने लिखा है कि इस बार बाब-ए-दोस्ती को तालिबान ने बंद किया है। अखबारों ने अफगान नेता अब्दुर्रहीम दोस्तम के घर को तालिबान के जरिए आग लगाने की भी खबर दी है। अखबारों ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और सेनाध्यक्ष के जरिए अफगानिस्तान के ताजा हालात पर बैठक किए जाने की खबरें भी दी हैं। अखबारों ने लिखा है कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने अफ़गानिस्तान बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था बारे में जानकारी प्राप्त की है।

अखबारों ने पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख रशीद का एक बयान छापा है जिसमें उन्होंने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ जिद पर अड़े हुए हैं। उनका पाकिस्तान वापसी का फिलहाल कोई इरादा दिखाई नहीं पड़ रहा है।अखबारों ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के राष्ट्रपति सरदार मसूद खान का बयान छापा है जिसमें उन्होंने कहा है कि भाजपा नफरत का प्रचार कर रही है। भारत क्रिकेट मैच पर सियासत न करे। एक दिन श्रीनगर, पुंछ में भी क्रिकेट खेलेंगे। अखबारों का कहना है कि उन्होंने उक्त बातें कश्मीर प्रीमियम लीग के उद्घाटन अवसर पर व्यक्त किया है। अखबारों का कहना है कि भारत इस लीग के खिलाफ था और इसको रोकने के लिए तमाम प्रयास भारत की तरफ से किए गए मगर इसमें उसको कामयाबी नहीं मिली है।अखबारों ने सुरक्षा परिषद की अफगानिस्तान के सम्बंध में आयोजित बैठक की खबरें भी दी हैं। अखबारों ने एशियाई डेवलपमेंट बैंक के जरिए पाकिस्तान को कोरोना वायरस से बचाव के लिए चलाए जा रहे प्रोग्राम के लिए 50 करोड़ डॉलर की मदद देने की खबरें दी है। यह सभी खबरें रोजनामा औसाफ, रोजनामा पाकिस्तान, रोजनामा खबरें, रोजनामा दुनिया, रोजनामा एक्सप्रेस, नवाएवक्त और रोजनामा जंग ने अपने पहले पन्ने पर छापी हैं।

रोजनामा नवाएवक्त ने एक खबर जम्मू-कश्मीर से दी है। इस खबर में बताया गया है कि भारत ने ओआईसी के मानवाधिकार कमीशन को जम्मू-कश्मीर जाने से रोक दिया है। अखबार ने लिखा है कमीशन के सदस्यों ने एलओसी का दौरा किया है। अखबार ने लिखा है दौरे में शामिल अजरबैजान के एक सदस्य ने कहा है कि कश्मीरी अकेले नहीं हैं। इस्लामी जगत उनके साथ खड़ा है। ओआईसी का मानवाधिकार कमिशन पाकिस्तान के दौरे पर आया हुआ है और उसे मुजफ्फराबाद ले जाया गया है। यह कमीशन यहां से जम्मू-कश्मीर जाना चाहता था मगर भारत ने इसकी इजाजत नहीं दी है। अखबार ने लिखा है कि इस दौरान जम्मू-कश्मीर के राजौरी में सेना और अर्धसैनिक बलों की घेराबंदी के दौरान 3 नौजवानों को गोली मारकर उड़ा दिया गया है। अखबार ने यह भी लिखा है कि गांदरबल में एक भारतीय सैनिक ने आत्महत्या कर ली है और श्रीनगर में बम धमाका होने की भी खबर दी गई है।

रोजनामा जंग ने एक खबर जम्मू-कश्मीर से दी है जिसमें बताया गया है कि चीन ने कहा है कि कश्मीर समस्या का समाधान संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के अनुसार निकाला जाना चाहिए। अखबार का कहना है कि चीन का मानना है कि कश्मीर पाकिस्तान और भारत के दरमियान तारीख का छोड़ा हुआ मसला है। उम्मीद है कि दोनों देश बातचीत के जरिए इसे हाल करेंगे। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के हवाले से कहा गया है कि सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव और दोनों देशों के बीच हुए समझौते के तहत कश्मीर समस्या का मुनासिब और शांतिपूर्ण हल तलाश करने पर जोर दिया है। प्रवक्ता का कहना है कि कश्मीर समस्या पर चीन का रुख पूरी तरह से स्पष्ट है।
साभार – हिस

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