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ईरान पर सैन्य कार्रवाई के लिए इजराइल तैयार, अमेरिकी अधिकारियों को मिली सूचना

वाशिंगटन। अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौते पर चल रही अप्रत्यक्ष वार्ता के बीच इजराइल ने बड़ा फैसला लिया है। अमेरिकी अधिकारियों को बताया गया है कि इजराइल, ईरान में सैन्य अभियान शुरू करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। अमेरिका को लगता है कि ईरान पड़ोसी इराक में कुछ अमेरिकी साइटों पर जवाबी कार्रवाई कर सकता है।

यही कारण है कि अमेरिका ने बुधवार को कुछ अमेरिकियों को इस क्षेत्र को छोड़ने की सलाह दी। एक रक्षा अधिकारी ने बताया कि विदेश विभाग ने गैर-आपातकालीन सरकारी अधिकारियों को “बढ़े हुए क्षेत्रीय तनाव” के कारण इराक छोड़ने का आदेश दिया। पेंटागन ने सैन्य परिवार के सदस्यों को स्वेच्छा से मध्य पूर्व को छोड़ने के लिए अधिकृत किया है।

दो अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्य पूर्व दूत स्टीव विटकॉफ आने वाले दिनों में देश के परमाणु कार्यक्रम पर छठे दौर की वार्ता के लिए ईरान से मिलने की योजना बना रहे हैं। ट्रंप ने बुधवार को कैनेडी सेंटर में एक कार्यक्रम में ईरान के बारे में बात की। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि अमेरिका नहीं चाहता कि ईरान परमाणु हथियार विकसित करे।

इस बीच, ईरान के रक्षा मंत्री अजीज नसीरजादेह ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि यदि परमाणु वार्ता विफल हो जाती है और हम पर संघर्ष थोपा जाता है तो इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स “मेजबान देशों में सभी अमेरिकी ठिकानों को निशाना बनाएगा। इस घटनाक्रम के बीच यूके समुद्री व्यापार संगठन ने बुधवार को जहाजों को फारस की खाड़ी, होर्मुज जलडमरूमध्य और ओमान की खाड़ी में सावधानी बरतने की सलाह दी है।
इजराइल के अधिकारियों और व्हाइट हाउस के प्रवक्ताओं ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ईरान के साथ किसी भी समझौते को लेकर बहुत संशय में रहे हैं। ईरान की 1979 की क्रांति के बाद से ही दोनों देश दुश्मन बने हुए हैं। नेतन्याहू के कार्यालय का कहना है कि इजराइल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम के विकास को रोकने के लिए “अनगिनत प्रत्यक्ष और गुप्त अभियानों” का संचालन किया है।

पिछले महीने ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने नेतन्याहू से आग्रह किया था कि जब तक उनका प्रशासन ईरान के साथ बातचीत जारी रखे, तब तक वह ईरान पर हमला न करें। उल्लेखनीय है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम दशकों पुराना है। 2015 में पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ईरान के साथ एक समझौता किया था। इसमें देश के यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम के दायरे को सीमित किया गया था। इस पर नेतन्याहू ने आपत्ति जताई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि ईरान अविश्वसनीय है और उसने गुप्त रूप से समझौते का उल्लंघन किया है। ट्रंप अपने पहले कार्यकाल में इस समझौते से बाहर निकले। इसके बाद अमेरिका ने ईरान के खिलाफ प्रतिबंधों को बढ़ाया। बावजूद इसके ईरान अत्यधिक समृद्ध यूरेनियम के अपने भंडार का विस्तार किया।

दो सप्ताह पहले एक रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने अनुमान लगाया था कि ईरान ने 408.6 किलोग्राम यूरेनियम को 60 प्रतिशत शुद्धता तक समृद्ध किया है। यह परमाणु हथियार बनाने के लिए आवश्यक 90 प्रतिशत संवर्धन स्तर के बेहद करीब है।
साभार – हिस

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