काठमांडू। बड़े पैमाने पर हुए मानव तस्करी के मामले में नेपाल की जांच एजेंसी ने भारतीय दूतावास से सहयोग मांगा है। एजेंसी ने दूतावास को एक हजार से अधिक ऐसे भारतीय नागरिकों की सूची भेजी है, जो नेपाल के विमानस्थल का प्रयोग करके दूतावास की अनुमति के बिना विदेश भेजे गए हैं। नेपाल के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से पिछले चार महीने में 200 संदिग्ध भारतीय नागरिकों को विदेश भेजे जाने की बात जांच में सामने आई है। इनमें अधिकांश खालिस्तान समर्थक लोगों के होने की जानकारी कुछ दिन पहले ही मिली है।
नेपाल में इमिग्रेशन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर मानव तस्करी होने का खुलासा होने के बाद मामले की जांच की जा रही है। पहले एंटी करप्शन ब्यूरो ने इस मामले की जांच शुरू की थी, लेकिन अब हर रोज नए-नए खुलासे होने के बाद केन्द्रीय अनुसंधान ब्यूरो (सीआईबी) भी जांच में शामिल हो गई है। सीआईबी की जांच में पता लगा है कि करीब एक हजार से अधिक भारतीय नागरिकों को बिना दूतावास के नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट के ही यहां से उड़ान भरने की अनुमति दी गई है।
दरअसल, नेपाल में नियम है कि भारतीय दूतावास को किसी तीसरे देश में उड़ान भरने के लिए काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास से एनओसी लेना आवश्यक होता है। जांच में पाया गया है कि पिछले छह महीने में एक हजार से अधिक भारतीय नागरिक को अवैध तरीके से भेजा गया है। अब इस मामले में सीआईबी ने भारतीय दूतावास को पत्र लिखकर पिछले छह महीने में भारतीय नागरिकों को दी गई एनओसी की सूची मांगी है, ताकि इस बात का अंदाजा लगाया जा सके कि कितने लोगों को विदेश भेजा गया है।
नेपाल के गृहमंत्री रमेश लेखक जिस मानव तस्करी मामले में अभी घिरे हैं और विपक्ष उन पर इस्तीफे का दबाव बना रहा है, उस मामले में सीआईबी ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। इस जांच से जुड़े एक वरिष्ठ जांच अधिकारी के मुताबिक हवाई अड्डे के इमिग्रेशन विभाग में मानव तस्करी का धंधा धड़ल्ले से चलाया जा रहा था। इसमें सिर्फ श्रमिक के रूप में विदेश जाने वाले लोग ही नहीं, बल्कि संदिग्ध लोगों को भी भेजे जाने का खुलासा हुआ है।
साभार – हिस
