काठमांडू। नेपाल में 23 लोगों को जिंदा जलाकर हत्या करने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व मंत्री सहित पांच लोगों को रिहा करने वाले हाई कोर्ट के दो जजों और कानून मंत्री के खिलाफ जांच की मांग की गई है। इस पर सुनवाई के लिए न्याय परिषद की आकस्मिक बैठक भी बुलाई गई है।
नेपाली कांग्रेस के बाहुबली नेता पूर्व मंत्री और तीन बार के सांसद आफताब आलम सहित उनके परिवार के पांच सदस्यों को सबूतों के अभाव में हाई कोर्ट के दो जजों की बेंच ने रिहा करने का आदेश दिया था। इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना का संज्ञान लेते हुए पुख्ता प्रमाण होने के कारण इन सभी आरोपितों को तत्काल गिरफ्तार करके इन पर मुकदमा चलाने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट की तरफ से राजनीतिक दबाव में यह फैसला किए जाने की बात कहते हुए नेपाल बार एसोशिएशन ने न्याय परिषद में लिखित शिकायत की है।
साथ ही हाई कोर्ट के दोनों जजों और देश के कानून मंत्री अजय चौरसिया के खिलाफ जांच की मांग की है। परिषद ने आज आकस्मिक बैठक बुलाई है। इस शिकायत में इस तरह का आदेश देने वाले हाई कोर्ट के दोनों जजों और कानून मंत्री के फैसले के दो दिन पहले से लेकर दो दिन बाद तक के कॉल डिटेल रिकॉर्ड मंगाने की बात भी कही गई है। बुधवार की शाम को न्याय परिषद की बैठक में इस बारे में आगे का निर्णय लिया जाएगा।
सत्तारूढ़ दल नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष तथा पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउवा ने फैसले से एक दिन पहले ही एक सार्वजनिक कार्यक्रम में आफताब आलम को जेल से जल्द रिहा कराने की बात कही थी। बार एसोशिएशन ने आशंका व्यक्त की है कि कांग्रेस के पूर्व मंत्री को जेल से रिहा कराने के लिए कांग्रेस के कोटे से ओली सरकार में कानून मंत्री रहे अजय चौरसिया ने भूमिका निर्वाह की है।
रौतहट से नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार मोहम्मद आफताब आलम पर मतदान के दिन बम बनाने के लिए भारत सरकार लाए गए मजदूरों की विस्फोट में घायल होने के बाद उन्हें अपने ही ईंटों की भट्टी में झोंक कर जिंदा जला देने के आरोप में जिला अदालत रौतहट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जनकपुर हाई कोर्ट की बीरगंज पीठ ने पिछले हफ्ते बुधवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाने के जिला न्यायालय के फैसले को पलट दिया। हाई कोर्ट के जजों डॉ. खुशी प्रसाद थारू और अर्जुन महर्जन की खंडपीठ ने आफताब आलम को आरोपों से बरी करते हुए जेल से रिहा करने आदेश दिया था।
साभार – हिस