लंदन: शुक्रवार रात आयोजित मातृ वंदना कार्यक्रम शानदार रूप से सफल रहा, जिसमें मां और मातृशक्ति की समाज में भूमिका और बुराई के नाश में उनके योगदान को रेखांकित किया गया। कार्यक्रम की थीम मत्स्य पुराण में वर्णित सात दिव्य माताओं की प्रेरणादायक कथा पर आधारित थी, जिसने विभिन्न समुदायों को एक साथ जोड़कर एक समरस समाज के निर्माण का संदेश दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक मंत्रोच्चार और पूजा-अर्चना से हुई, जिसके बाद विद्वानों और आध्यात्मिक वक्ताओं ने सात दिव्य माताओं—ब्रह्माणी, माहेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वाराही, इंद्राणी और चामुंडा—की महिमा पर प्रकाश डाला। इन माताओं को शक्ति, ज्ञान और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है, जिन्होंने अधर्म का नाश कर समाज में संतुलन स्थापित किया। वक्ताओं ने उनके गुणों को आधुनिक समाज के लिए भी प्रासंगिक बताते हुए इनसे प्रेरणा लेने का संदेश दिया।
कार्यक्रम में विभिन्न समुदायों की सक्रिय भागीदारी देखने को मिली। महिला संगठनों, सांस्कृतिक समूहों और श्रद्धालुओं ने मिलकर मातृशक्ति की महत्ता को उजागर किया। पारंपरिक नृत्य और संगीतमय प्रस्तुतियों ने सात माताओं की गाथाओं को जीवंत बना दिया, जिससे पूरे माहौल में भक्ति और समर्पण की भावना जागृत हुई।
कार्यक्रम का सबसे गौरवपूर्ण क्षण तब आया जब ब्रिटेन के महाराजा किंग चार्ल्स तृतीय का शुभकामना संदेश पढ़ा गया। उनके संदेश ने कार्यक्रम की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को और अधिक गरिमा प्रदान की और उपस्थित जनसमूह को गहरी प्रेरणा दी।
आयोजकों ने इस अवसर पर मातृशक्ति की जीवन में प्रासंगिकता पर जोर देते हुए कहा कि न केवल देवी स्वरूपा माताओं की, बल्कि समाज में हर मां के योगदान का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मातृशक्ति के मूल्यों को अपनाकर हम एक करुणामय और न्यायपूर्ण समाज की स्थापना कर सकते हैं।
इस भव्य आयोजन की जानकारी राग सुधा के माध्यम से मीडिया को दी गई, जिससे यह संदेश व्यापक रूप से लोगों तक पहुंच सका। उपस्थित लोगों ने इस आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव को अविस्मरणीय बताया और भविष्य में ऐसे आयोजनों की निरंतरता की उम्मीद जताई।
मातृ वंदना ने नारी शक्ति, एकता और सद्भाव का एक अद्भुत संदेश दिया, जो सभी उपस्थित लोगों के हृदय में एक गहरी छाप छोड़ गया। आयोजकों ने वादा किया कि वे भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करते रहेंगे, जिससे समाज में मातृशक्ति का सम्मान और आध्यात्मिकता की भावना और मजबूत हो सके।