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आँखे खोलो धृतराष्ट्र…!!!

आँखे खोलो धृतराष्ट्र, सुनो विदुर की वाणी। अंधभक्त भीष्म जी बैठे द्रोण भरे यहाँ पाणी।। एक ही उल्लू काफी है …

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जय रघुनन्दन, जय सियाराम…!!!

रघुपति राघव राजा राम, जय रघुनन्दन, जय सियाराम, जय, जय, जय, जय, आत्मविज्ञान, कर दो सम्पूर्ण ध्यानी जहां, जय जय, …

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शैशव मैं जीना चाहती हूँ, स्मृतियों की मधुर हाला, बेसुध हो पीना चाहती हूँ… !!

बिटिया दिवस पर विशेष प्रिये ! तेरे संग मृदुलित, शैशव मैं जीना चाहती हूँ, स्मृतियों की मधुर हाला, बेसुध हो …

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लघु कविताएँ – शून्य 

( 1 ) पिघलने लगी रात, आहिस्ता-आहिस्ता ! झरने लगे कलम से, स्याही के कतरे ! खो गयी शब्दों की …

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पानी वाली धार है बेटी, रत्नों वाली हार है बेटी…!!!

कुल की लाज बचाने वाली, बेटों से भी ज्यादा बेटी। सबको लगती प्यारी प्यारी, दो कुल की मर्यादा बेटी।। माँ …

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अध्यात्म का पर्याय शाकाहार है…!! अहिंसा परमो धर्मा:!!

अध्यात्म का पर्याय शाकाहार है, साधक के जीवन का मूल आधार है!! प्रेम की राह पर निरंतर बढ़ने का प्रयास …

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