कटक-सत्संग की एक भी बात यदि मन में लगी, तो समझो कि बेड़ा पार हो गया है। श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन पंडित श्री मोहनलाल जी व्यास ने माहेश्वरी समाज के प्रबुद्ध श्रोताओं को संबोधित करते हुए यह बात कही। परिवार में पक्षपात होने से क्यारी जैसे घर की स्थिति एकल गमले जैसी हो जाती है। आज की कथा में गंगाजी के तट पर सुखदेवजी का परीक्षित से मिलन, ब्रह्माजी द्वारा चौरासी लाख योनियों का विस्तार, विष्णुजी द्वारा ब्रह्माजी को चतुःश्लोकी भागवत की कथा का श्रवण, वेदव्यासजी द्वारा इसका विस्तार, मनु-शतरूपा की उत्पत्ति, कपिलजी द्वारा माँ को सांख्य शास्त्र का उपदेश देना, भगवान शंकरजी द्वारा दक्ष के यज्ञ का विध्वंस करना, हिमालय-मेनका से पार्वतीजी का उत्पन्न होना, नारदजी द्वारा पार्वतीजी को भगवान शिव की तपस्या करवाना एवं शिव पार्वती के विवाह प्रसंग पर विस्तार से वर्णन किया। इस अवसर पर समाज के बच्चों द्वारा शिव विवाह की अति मनोहर झाँकी भी प्रस्तुत की गयी। आज की कथा में माहेश्वरी समाज बंधुओं के अलावा अन्य समाज के लोगों की उपस्थिति भी अच्छी रही।
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