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विविधता में एकता का संदेश देती है भारतीय कला- संस्कृति – प्रताप षड़ंगी

  • प्रतिभा संगम के दूसरे दिन नृत्य व संगीत प्रतियोगिता में शामिल हुए छात्र- छात्रा

भुवनेश्वर। भारतीय कला व संस्कृति विविधता में एकता का संदेश देती है। विद्यार्थियों को चाहिए कि वे कला के माध्यम से भारतीय संस्कृति को विश्व दरबार में पहुंचायें। राष्ट्रीय कला मंच द्वारा भुवनेश्वर के निलाद्री बिहार शिशु मंदिर में आयोजित प्रतिभा संगम कार्यक्रम के दूसरे दिन केन्द्रीय मंत्री प्रताप षड़ंगी ने अपने उदवोधन में यह बात कही। श्री षड़ंगी ने संस्कृत में  अपना अभिभाषण रखा। प्रतिभा संगम के दूसरे दिन विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इसमें नृत्य, संगीत, स्वरचित कविता पाठ आदि प्रतियोगिता आयोजित किये गये।

इन प्रतियोगिता में शामिल बच्चों को नामचीन लोगों ने प्रशिक्षण भी दिया। संगीत प्रतियोगिता के जज के रुप में ओड़िया संगीत निदेशक मन्मथ नाथ मिश्र,  प्रेम आनंद, गुडली रथ, शैलभामा शामिल थे। इन लोगों ने प्रतियोगियों के गायन व संगीत के गुर भी सिखाया। इसी तरह कविता आवृत्ति में कवि डा शुभकुमार दास, अमीय महापात्र व व्यंग कवि ज्ञान होता जज के रुप में उपस्थित होकर कविता पाठ में शामिल छात्र छात्राओं का मार्गदर्शन किया।

इसी तरह  नृत्य प्रतियोगिता में जज के रुप में विशिष्ट नृत्य निदेशक मृत्युंजय पंडा, अंतरराष्ट्रीय नृत्य शिल्पी डा श्रीनिवाक घटुआरी एवं जया विश्वास उपस्थित थे। इन लोगों ने इस प्रतियोगिता में शामिल छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षण व उनके नृत्य में कैसे अधिक सुधार लाया जा सकता है इस पर भी चर्चा की।

 

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