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राष्ट्रपति ने संथाली भाषा के लेखकों और शोधकर्ताओं की सराहना की President Draupadi Murmu-02

राष्ट्रपति ने संथाली भाषा के लेखकों और शोधकर्ताओं की सराहना की

  • अखिल भारतीय संथाली लेखक संघ का 36वां वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन

भुवनेश्वर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संथाली भाषा के लेखकों और शोधकर्ताओं की सराहना की। उन्होंने यह सराहना मयूरभंज के जिला मुख्यालय बारिपदा में अखिल भारतीय संथाली लेखक संघ के 36वें वार्षिक सम्मेलन और साहित्यिक महोत्सव के उद्घाटन सत्र में की।

इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि अधिकांश संथाली साहित्य मौखिक परंपरा में उपलब्ध है। पंडित रघुनाथ मुर्मू ने न केवल ओल चिकी लिपि का आविष्कार किया है, बल्कि उन्होंने ‘बिदु चंदन’, ‘खेरवाल बीर’, ‘दारगे धन’, ‘सिदो-कान्हू-संथाल हूल’ जैसे नाटकों की रचना करके संथाली भाषा को और भी समृद्ध किया है।

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उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कई संथाली लेखक अपने कार्यों से संथाली साहित्य को समृद्ध कर रहे हैं। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने संथाली भाषा और साहित्य में योगदान दे रहे लेखकों और शोधकर्ताओं की सराहना की। उन्होंने इस बात की सराहना की कि अखिल भारतीय संथाली लेखक संघ 1988 में अपनी स्थापना के बाद से ही संथाली भाषा को बढ़ावा दे रहा है।

उन्होंने कहा कि 22 सितंबर को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल होने के बाद सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्रों में संथाली भाषा का उपयोग बढ़ गया है। उन्होंने इस अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद किया, जिनके कार्यकाल के दौरान संथाली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था।

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राज्यपाल रघुवर दास ने पंडित रघुनाथ मुर्मू को नमन किया

राज्यपाल रघुवर दास ने कहा कि संथाली साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए पंडित रघुनाथ मुर्मू, माझी रामदास टुडू ‘रेस्को’, साधु रामचंद्र मुर्मू, कोयल पंचानन मरांडी, सूर्यानन्द हेम्ब्रम, कवि सारदा प्रसाद किस्कु, डोमन हांसदा, डोमन साहु जैसी महान विभूतियों को मेरा कोटि कोटि नमन। वर्तमान माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी 2002 में विधानसभा सदस्य के रूप में संथाली भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

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इनकी मातृभाषा भी संथाली है। उन्होंने कहा कि संथाली लिपि ‘ओलचिकी’ का आविष्कार लगभग 100 साल पहले पंड़ित रघुनाथ मुर्मू जी ने किया। उनकी कर्मभूमि बारीपदा आकर आज मुझे अद्भुत अनुभूति हो रही है। मैंने झारखंड राज्य में मेरी सरकार के कार्यकाल में ओलचिकी लिपि को प्रोत्साहित करने लिए कई कार्य किए थे। ओलचिकी के प्रचार प्रसार के लिए प्राथमिक स्कूलों में संथाली में पढ़ाई, रेलवे स्टेशन पर अनाउंसमेंट शुरू कराए। सरकारी कार्यालयों के नाम संथाली में भी लिखने का काम कराया। इस कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री विश्वेश्वर टुडू, राज्य सरकार के मंत्री सानंद मरांडी व अन्य उपस्थित थे।

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