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संथाली भाषा को बढ़ावा देने की जरूरत - राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू President Draupadi Murmu

संथाली भाषा को बढ़ावा देने की जरूरत – राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

  • लेखक समाज के सजग प्रहरी – राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

  • कहा-अपने कार्यों से समाज को करते हैं जागरूक और उसका मार्गदर्शन

  • आदिवासी समुदाय के लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने को एक महत्वपूर्ण कार्य बताया

भुवनेश्वर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू  ने कहा कि संथाली भाषा को बढ़ावा देने की जरूरत है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लेखक समाज के सजग प्रहरी होते हैं। वे अपने कार्यों से समाज को जागरूक करते हैं और उसका मार्गदर्शन करते हैं। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अनेक साहित्यकारों ने हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को राह दिखाई। उन्होंने लेखकों से अपने लेखन के माध्यम से समाज में निरंतर जागरूकता पैदा करने का आग्रह किया।

उक्त बातें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज सोमवार को कहीं। वह मयूरभंज के जिला मुख्यालय बारिपदा में अखिल भारतीय संथाली लेखक संघ के 36वें वार्षिक सम्मेलन और साहित्यिक महोत्सव के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रही थीं।

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इस दौरान उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आदिवासी समुदाय के लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना एक महत्वपूर्ण कार्य है। उन्होंने कहा कि निरंतर जागरूकता से ही सशक्त एवं जागरूक समाज का निर्माण संभव है।

आदिवासी समुदाय का जंगल नहीं, बल्कि वे जंगल के हैं

राष्ट्रपति ने कहा कि साहित्य किसी समुदाय की संस्कृति का दर्पण होता है। आदिवासी जीवनशैली में प्रकृति के साथ मानव का स्वाभाविक सह-अस्तित्व दिखता है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदायों का मानना है कि जंगल उनका नहीं है, बल्कि वे जंगल के हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आज जलवायु परिवर्तन एक बड़ी समस्या है और इस समस्या से निपटने के लिए प्रकृति के अनुकूल जीवन बहुत महत्वपूर्ण है।

आदिवासी समुदायों की जीवनशैली पर लिखने का आह्वान  

उन्होंने लेखकों से आदिवासी समुदायों की जीवनशैली के बारे में लिखने का आग्रह किया, ताकि अन्य लोगों को आदिवासी समाज के जीवन मूल्यों के बारे में पता चल सके।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत विभिन्न भाषाओं और साहित्य का एक सुंदर उद्यान है। उन्होंने कहा कि भाषा और साहित्य वे सूक्ष्म धागे हैं, जो राष्ट्र को एक साथ बांधते हैं और साहित्य विभिन्न भाषाओं के बीच व्यापक आदान-प्रदान से समृद्ध होता है, जो अनुवाद के माध्यम से संभव है। उन्होंने कहा कि संथाली भाषा के पाठकों को अनुवाद के माध्यम से अन्य भाषाओं के साहित्य से भी परिचित कराया जाना चाहिए। उन्होंने संथाली साहित्य को अन्य भाषाओं के पाठकों तक पहुंचाने के लिए इसी तरह के प्रयासों की आवश्यकता को रेखांकित किया।

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राष्ट्रपति ने कहा कि बच्चों को शुरू से ही सेल्फ स्टडी में व्यस्त रखने की जरूरत है। उन्होंने मनोरंजक और बोधगम्य बाल साहित्य सृजन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि न केवल संथाली साहित्य बल्कि सभी भारतीय भाषाओं में रोचक बाल साहित्य सृजन पर जोर दिया जाना चाहिए।

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