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कोरोना वायरस पर लगी पाबंदी से बदल गया है लोगों के दिनचर्या का तरीका

  • सरकार की मुहिम में सहभागी बन परिवार के साथ घर में समय गुजारने को बुद्धिजीवियों की सलाह

शेषनाथ राय, भुवनेश्वर
कोरोना वायरस का आतंक पूरी दुनिया के साथ ओडिशा में भी साफ तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि इस वायरस को लेकर लगी पाबंदी ने महज दो दिन के अन्दर ही राजधानी वासियों के दिनचर्या को बदलकर रख दिया है। पहले की तरह ना ही अब चाय-पान की दुकान पर अखबार पढ़कर लोग गपशप कर रहे हैं और ना ही कोई सिनेमा देखने जा रहा है, ना ही सभाएं हो रहीं हैं और ना ही कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम। सुबह से लेकर देर रात तक जहां चहल-कदमी हुआ करती थी, सड़कों पर वाहनों के शोर-शराबा हुआ करते थे, अब सब कुछ मानो एक नीरवता में तब्दील हो गया है। शायद जीवनधारा की रफ्तार में ऐसा भी ब्रेक लगता है, जिसे मानव समाज को स्वीकार करना होता है।
सरकार के 8 दिवसीय लाक डाउन की घोषणा ने छोटे से लेकर बड़े तक हर वर्ग को झंकझोर कर रख दिया है, मगर लोगों के जीवन रक्षा के लिए दूसरा कोई तरीका भी सरकार के पास नहीं है, जिसे लोग भी भलीभांति समझ रहे हैं और स्वीकार भी कर रहे हैं। प्रधानमंत्री द्वारा आहूत जनता के लिए जनता कर्फ्यू इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। राज्य सरकार के इस लाक डाउन के निर्णय को बुद्धिजीवियों ने सकारात्मक ढंग से लिया है और लोगों के लिए इस समयावधि को परिवार के साथ बिताने का एक अवसर मान रहे हैं। उनका मानना है कि लोग घर में रहकर किताब पढें, विश्राम करें, व्यायाम करें और अपनी कला को भी प्रदर्शित करें, मगर घर से बाहर न निकलें। हालांकि कुछ लोग इसे एकांतवास मानते हुए ध्यान, पूजा, प्रार्थना भी कर रहे हैं और उनका मानना है कि यह आपदा भी हट जाएगी एवं हम लोग फिर आपस में मिलेंगे, सपना देखेंगे तथा नया जीवन शुरू करेंगे।
कहावत है कि शांति में जीवन जीने के लिए राजप्रसाद या बड़े घर की जरूरत नहीं होती है, बल्कि एक अच्छे परिवार का समर्थन मनुष्य को खुशी से रहने में सहायक होता है। इस भागमभाग भरी दुनिया में मानव अपने सुखद जीवन के लिए अपने समय को बेचने में व्यस्त है। बैंक बैलेंस बढ़ाने के लिए परेशान है। मगर इस बीच वह अपने जीवन का पूरा समय बेचते हुए जा रहा है, शायद उसे पता नहीं है। हालांकि कोरोना वायरस ने अंतत: मानव के मष्तिष्क को परिवार के साथ बांध कर रखने के लिए एक सुनहरा अवसर उत्पन्न किया है। इसका लाभ भी लोग ले रहे हैं।
इस संदर्भ में कुछ बुद्धिजीवी एवं समाजसेवियों से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस को लेकर सरकार की तरफ से लगायी जा रही पाबंदियों को हमें अवसर में तब्दील करना होगा। इस भागमभाग भरे दौड़ में हम चाहकर भी एक सप्ताह तक अपने घर में नहीं रह सकते, मगर आज हमें इस आपदा को भी अवसर के तौर पर लेना चाहिए और सरकार के मुहिम में सहभागी बनना चाहिए। घर में रहें, सुरक्षित रहें और अपने परिवार के साथ समय बिताते हुए सरकार की मुहिम में सहभागी बने।

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