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प्रो गणेशीलाल ने दी स्वर्गीय उद्योगपति और समाजसेवी गुप्ता को दी श्रद्धांजलि

हंसमुख और उदारमना थे. उनसे जब भी मुलाकात हुई, उन्होंने संस्कार के अनुसार सच्ची श्रद्धा दिखाई. श्रद्धा का आयाम इतना विस्तार लिये हुए है, जिसके वशीभूत विधि, हरिहर, सूर और गुरु आदि सभी हैं. सभी श्रद्धा के ही वशीभूत होते हैं. भवानी शंकरी वन्दे श्रद्धा-विश्वास रुपिणौ. गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने भी यही बात अर्जुन को बताई थी कि सृष्टि श्रद्धा से विनिर्मित है, जिसकी जैसी श्रद्धा होती है वह वैसा ही बन जाता है. राज्यपाल ने श्रीमद्भागवत गीता तथा महान संत ओशों के विचारों का उल्लेख करते हुए जीवन और मरण की सुंदर तथा जीवनोपयोगी जानकरी दी. उन्होंने बताया कि श्रद्धा का निवास सरलता और मन की पवित्रता में निहित होता है. सरलता और श्रद्धाभाव स्वर्गीय भगतराम गुप्ता के पारदर्शी व्यक्तित्व का सबसे बड़ा आधार था. उनके चेहरे पर सदा उन्होंने प्रसन्नता ही देखी. प्रो गणेशीलाल ने यह भी बताया कि आत्मिक प्रगति का सबसे बड़ा आधार श्रद्धा होती है.
आज स्वर्गीय भगतराम गुप्ता को हमसब इसलिए याद करते हैं कि वे हंसमुख थे, उदारमना थे, सभी के सुख-दुख के साथी थे. आज भी उनके स्वर्ग सिधारने के बावजूद यहां शोक सभा में आज उनके सैकड़ों चाहनेवाले उपस्थित होकर उनके प्रति सच्ची श्रद्धा प्रदर्शित कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि आत्मा अमर है, अविनाशी है. व्यक्ति की सांस जबतक चलती है, तबतक की उसका जीवन है. प्रो गणेशीलाल के अनुसार मनुष्य स्थूल कम, सूक्ष्म अधिक होता है. शोक सभा में स्वर्गीय भगतराम गुप्ता के सैकड़ों चाहनेवाले लोग उपस्थित होकर उनकी तस्वीर पर पुष्प अर्पण किये तथा तस्वीर के सम्मुख बैठकर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की.