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पश्चिम ओडिशा में चक्का जाम, नहीं खुली दुकान बजारें

  •  सरकारी एवं गैरसरकारी कार्यालयों में लगा ताला

  •  कुछ ट्रेनें रद्द एवं कुछ बिलंब से अपने गंतव्य की ओर हुईं रवाना

  •  हाईकोर्ट की मांग पर जगह-जगह पर हुआ प्रदर्शन

  •  दर्जनों गिरफ्तार, रिहा

राजेश बिभार, संबलपुर

हाईकोर्ट की मांग पर पश्चिम ओडिशा में उबाल जारी है। बुधवार को तमाम संबलपुर समेत पूरे पश्चिम ओडिशा में चक्का जाम रहा। अंचल की सभी दुकानें एवं बजारें बंद रहीं। सरकारी एवं गैरसरकारी कार्यालयों में पूरी तरह तालाबंदी रही। आंदोलनकारियों के तेवर को देखते हुए संबलपुर से चलने वाली कुछ ट्रेनों को रद्द कर दिया गया, जबकि अन्य कुछ ट्रेन से बिलंब से अपने गंतव्य की ओर रवाना हुईं। बुधवार की सुबह से से जिला अधिवक्ता संघ एवं सचेतन नागरिक कमेटी के लोग सड़क़ों पर उतर आए।

आंदोलनकारियों ने डीआरएम कार्यालय, जिला कार्यालय एवं आरडीसी कार्यालय समेत शहर के सभी बैंक एवं अन्य गैर सरकारी कार्यालयों के समक्ष पिकेटिंग आरंभ किया। देखते ही देखते उन कार्यालयों में कामकाज बंद हो गया। शहर के व्यापारी एवं अन्य संगठन के लोगों ने इस बंद को अपना समर्थन देते हुए बुधवार की सुबह से अपनी दुकानें एवं बजारों को बंद रखा। सुबह आंदोलित लोग संबलपुर रेलवे स्टेशन में जा धमके और संबलपुर-रायगढ़ा एक्सप्रेस एवं संबलपुर पुरी इंटरसिटी एक्सप्रेस को जाम कर दिया। आंदोलन लोग उन ट्रेनों के इंजन के आगे जमा हो गए और हाईकोर्ट की मांगपर आवाज बुलंद करना आरंभ कर दिया। रेलवे अधिकारी एवं रेलवे पुलिस के अधिकारियों ने आंदोलनकारियों से बातचीत करने का प्रयास किया, किन्तु आंदोलनकारी अपनी मांग पर अडिग रहे। मसलन रेल प्रबंधन ने दोनों ही ट्रेनों को एक दिन के लिए स्थगित कर दिया। राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी अधिवक्ताओं ने पिकेटिंग किया और बीच सडक़ पर धरना आरंभ किया। मसलन राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह बंद हो गई। बाहर से संबलपुर पहुंचे लोगों को इस दौरान खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

संबलपुर रेलवे स्टेशन एवं बस अड्डा में उन्हें दिन तमाम गुजारना पड़ा। सडक़ों पर विरानी सा मंजर रहा। इक्का-दुक्का दोपहिया वाहनों को छोडक़र शहर के सडक़ों में सन्नाटा पसरा रहा। संबलपुर के अलावा झारसुगुड़ा, सुंदरगढ़, बलांगीर, बरगढ़, नुआपड़ा, देवगढ़, सोनपुर एवं बौद्ध में भी बंद शत प्रतिशत सफल रहा। गौरतलब पश्चिम ओडिशा के लोगों को हाईकोर्ट का काम निपटाने हेतु कटक तक की दूरी तय करनी पड़ती है। इसमें उन्हें आर्थिक एवं मानसिक रूप से परेशान होना पड़ता है। अंचल में पिछले कई दशकों से हाईकोर्ट की मांग की जा रही है। इस मांग लेकर वर्षों से आंदोलन का दौर चल रहा है। विडंबना का विषय यह है कि प्रदेश सरकार इस मसले पर रूचि नहीं दिखा रही है। वर्ष 2013-14 के बीच इस आंदोलन ने रौद्र रूप धारण किया। आंदोलनकारियों ने करीब 43 दिनोंं तक पश्चिम ओडिशा को ठप कर दिया। तत्पश्चात प्रदेश सरकार ने मामले पर हस्तक्षेप किया और प्रदेश के पश्चिम एवं दक्षिण ओडिशा में हाईकोर्ट की स्थायी खंडपीठ स्थापना का प्रस्ताव केन्द्र को भेजा। किन्तु उसमें किस जगह पर हाईकोर्ट की स्थापना हो, इसका जिक्र नहीं किया। इसके बाद से किन्तु इस मसले पर प्रदेश एवं केन्द्र सरकार के बीच राजनीतिक पैंतरा चल रहा है। पश्चिम ओडिशा के लोगों को सुहाने जैसा कोई काम नहीं हो पाया। मसलन अंचल की आवाम में नाराजगी का माहौल है। पश्चिम ओडिशा बंद के माध्यम से लोगों ने अपने इस गुस्से का इजहार किया है। खबर लिखे जानेतक आंदोलन जारी थी, कहीं से किसी प्रकार की अप्रिय घटना की खबर नहीं मिल पाई थी। आंदोलन के दौरान दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया गया और कुछ समय बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।

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