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अयोध्या में राम मन्दिर

अयोध्या में राम मन्दिर हमारे हिम्मत न हारने और हजारों साल की लड़ाई का प्रतीक : चम्पत राय

  • संस्कृति संसद में संतों ने राम मन्दिर आन्दोलन में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले विहिप के संरक्षक अशोक सिंघल को याद किया

वाराणसी। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि अयोध्या में राम मन्दिर हमारे हिम्मत न हारने और हजारों साल की लड़ाई का प्रतीक है। यह केवल मन्दिर की लड़ाई नहीं है बल्कि हमारे धर्म व स्वाभिमान की लड़ाई है। चंपत राय शुक्रवार को सिगरा स्थित रूद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित संस्कृति संसद को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने बताया कि अयोध्या में राम मन्दिर एक नया संदेश और धार्मिक अनुभव का प्रतीक लेकर उभर रहा है जिसमें भगवान श्रीराम की बाल्यकाल की मूर्ति बनाई गई है। यह मन्दिर नए दृष्टिकोण और डिजाइन के साथ निर्मित हो रहा है। मन्दिर के एक हिस्से में पांच देवों की कल्पना की गई है। मन्दिर के बीच में भगवान विष्णु की मूर्ति होगी।

संस्कृति संसद के श्रीरामजन्मभूमि मन्दिर निर्माण एवं हिन्दू पुनजार्गरण विषयक सत्र की अध्यक्षता करते हुए कैवल्य पीठाधीश्वर अविचल दास ने कहा कि राम नाम से ही गांधीजी ने अपने आन्दोलन को प्रारम्भ किया था, राम नाम से ही भारत को सांस्कृतिक आजादी मिली। उन्होंने कहा कि कुछ विधर्मी कहते हैं कि तुम मन्दिर बनाओ, जब हम आएंगे तो उसे फिर तोड़ेंगे, पर ऐसा सम्भव नहीं है। आज स्वाभिमान जागरण की बात आ गई है और हमें सचेत होने की आवश्यकता है। मन्दिर का निर्माण तो ही रहा है पर भविष्य में सनातन का अपमान न हो, यह ध्यान रखना होगा। सत्र में उत्तराखंड में परमार्थ निकेतन संस्था के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती ने राम मन्दिर आन्दोलन में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले विहिप के संरक्षक अशोक सिंघल को याद किया।

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उन्होंने कहा कि आज सबसे ज्यादा प्रसन्नता उन्हें ही हो रही होगी। ऐसे आयोजन होते रहने होने चाहिए। संस्कृति पर संवाद ही देश के सभी समस्याओं का समाधान है। यह 21वीं सदी का भारत है, जो महाभारत की ही नहीं ‘महान भारत’ का संदेश देता है। आज भारत न दबाव में जीता है और न अभाव में। हमास, हिजब्बुला और हूती इन सबके लिए हमारा एक ही संदेश है, भारत आतंकवाद से नहीं डरता। भारत न केवल फिलिस्तीन के पीड़ितों बल्कि इजरायल के साथ भी खड़ा है। 2024 या भविष्य में कभी भी भारत ही नहीं, वरन पूरे विश्व में शान्ति व्यवस्था के लिए हमें आध्यात्मिक शान्ति, सुरक्षा और संस्कारों की गंगा के बहाव की आवश्यकता है। इसके लिए अगले चुनाव में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी का पुनः जीतना महत्वपूर्ण है।

सत्र में स्वामी जितेन्द्रानाथ, ज्योतिर्मया महाराज ने विचार रखा। सत्र का संचालन विश्व हिन्दू परिषद् के केन्द्रीय मऩ्त्री अशोक तिवारी ने किया।

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