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पहली बार बिल में ट्रैफिकिंग को एक संगठित अपराध के रूप में चिन्हित किया गया : स्मृति ईरानी

नई दिल्ली, विश्व ट्रैफिकिंग विरोधी दिवस के अवसर पर कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ) और बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) ने संयुक्त रूप से ‘ह्यूमन ट्रैफिकिंग के उन्मूलन’ पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुक्रवार को आयोजन किया गया। संगोष्ठी में कोरोना महामारी के कारण ट्रैफिकिंग के उभरते नए रूपों को एक ओर जहां उजागर किया गया, वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित ट्रैफिकिंग ऑफ पर्सन्स (प्रीवेंशन, प्रोटेक्शन एंड रीहैबिलिटेशन) बिल-2021 का पुरजोर समर्थन किया गया। यह बिल संसद के मौजूदा मानसून सत्र में पेश होना है। कार्यक्रम में सत्र का उद्घाटन केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने किया।
कार्यक्रम में प्रयास के संस्थापक आमोद कंठ, ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी नेटवर्क की अस्मिता सत्यार्थी, अमर उजाला डिजिटल के संपादक जयदीप कार्णिक, सीआरएएफ, आंध्र प्रदेश के फ्रांसिस थंबी, गोल्ड-असम के राजीब शर्मा, आरपीएफ, रेलवे महानिरीक्षक मुख्यालय सुमति शांडिल्य उपस्थित रहे।

इसी क्रम में कार्यक्रम में शक्ति वाहिनी के संस्थापक रवि कांत, बिहार के एडीजी अनिल किशोर यादव, महानिदेशक और पुलिस आयुक्त, तेलंगाना महेश भागवत, राष्ट्रीय संस्थान सामाजिक रक्षा के निदेशक वीरेंद्र मिश्रा और डब्ल्यूसीडी, दिल्ली (टीबीसी) की निदेशक रश्मि सिंह भी मौजूद रहीं।
इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने प्रस्तावित एंटी ट्रैफिकिंग बिल की चर्चा करते हुए कहा, “हम देश में पहली बार ट्रैफिकिंग को एक संगठित अपराध के रूप में चिन्हित कर रहे हैं। यह बिल ट्रैफिकिंग के विभिन्न रूपों की, जो अपनी प्रकृति में गंभीर है, एक व्यापक सूची का प्रस्ताव तैयार करेगा और उसी अनुसार उसकी सजा को बढ़ाने का काम करेगा।
यह बिल अपराध की रिपोर्टिंग करने को भी अनिवार्य बनाता है और जो अपराध को रिपोर्ट नहीं करेंगे वे सजा के दायरे में आएंगे।’’ केंद्रीय मंत्री ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि बिल के पारित होने के साथ ही हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उस सहयोग को बढ़ाएंगे, जिसके तहत महिलाओं एवं बच्चों की सीमापार से ट्रैफिकिंग होती है और जो हमारी चिंता का एक प्रमुख कारण है।

अंत में स्मृति इरानी ने कहा, “मैं एक बार फिर से उम्मीद करती हूं कि आज की यह संगोष्ठी नए विचारों को सामने लाएगी ताकि हमारा कार्यान्वयन न केवल प्रशासनिक स्तर पर सुचारू हो बल्कि वह उपयोगी और प्रभावी भी हो। कोरोनाकाल में ट्रैफिकिंग बढी
कोरोनाकाल में ट्रैफिकिंग बढ रही है, बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) के आंकडे भी इसकी तस्दीक करते हैं। बीबीए ने कोरोना महामारी के दौरान ट्रैफिकिंग के शिकार नौ हजार से अधिक बच्चों को मुक्त किया है। पिछले दो महीनों में ही उसने पूरे देश से 806 बच्चों को आजाद कराया। इस हफ्ते में बीबीए ने झारखंड के गिरिडीह में छह नाबालिग लड़कियों को छुड़ाने के साथ ही रांची से दिल्ली लाए जा रहे चार नाबालिग बच्चों को भी छुड़ाया है।
इसके अलावा तेलंगाना से चार किशोर बच्चों को छुड़ाया गया। एंटी ट्रैफिकिंग डे की पूर्व संध्या पर अंबाला स्टेशन से अमृतसर जाने वाली ट्रेन से 25 बच्चों को बचाया गया। वहीं, दिल्ली के सीलमपुर इलाके की गारमेंट इकाईयों से बाल मजदूरी कर रहे 20 बच्चों को छुड़ाया गया।
साभार-हिस

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