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इतिहास के पन्नों मेंः 16 जून

देशबंधु का निधनः भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख राष्ट्रवादी नेता व देशबंधु के नाम से सुविख्यात चितरंजन दास का 16 जून 1925 को दार्जिलिंग में तेज बुखार की वजह से निधन हो गया। देशबंधु चितरंजन दास प्रखर राष्ट्रवादी नेता के साथ-साथ कुशल अधिवक्ता और पत्रकार भी थे।
05 नवंबर 1870 को कलकत्ता के धनाढ्य परिवार में पैदा हुए चितरंजन दास 1892 में बैरिस्टर बनकर इंग्लैंड से स्वदेश लौटे। शुरू में उनकी वकालत ठीक नहीं चली लेकिन ‘वंदेमातरम’ के सम्पादक अरविंद घोष पर चलाए गए राजद्रोह के मुकदमे और अलीपुर षड्यंत्र केस के मुकदमे ने कलकत्ता हाईकोर्ट में उनकी धाक जमा दी। इन मुकदमों से उनकी ख्याति इतनी फैली कि उन्हें ‘राष्ट्रीय वकील’ कहा जाने लगा क्योंकि ऐसे मुकदमों में वे पारिश्रमिक नहीं लेते थे।
चितरंजन दास 1906 में कांग्रेस में शामिल हुए और पंजाब कांड की जांच के लिए नियुक्त कमेटी में उल्लेखनीय काम किए। उन्होंने महात्मा गांधी के सत्याग्रह का समर्थन किया लेकिन कलकत्ता में हुए कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में उन्होंने गांधीजी के असहयोग के प्रस्ताव का खुला विरोध कर दिया। नागपुर अधिवेशन में तो 250 प्रतिनिधियों का दल लेकर वे असहयोग प्रस्ताव का विरोध करने के लिए गए थे। लेकिन अंत में स्वयं उन्होंने यह प्रस्ताव सभा के सामने उपस्थित किया। कांग्रेस के निर्णय पर उन्होंने वकालत छोड़ दी और अपनी सारी सम्पत्ति मेडिकल कॉलेज के निर्माण व महिलाओं के अस्पताल के लिए दे दी। इसी वजह से उन्हें ‘देशबंधु’ कहा जाने लगा।
1925 में काम के भारी बोझ के चलते देशबंधु चितरंजन दास का स्वास्थ्य बिगड़ गया और स्वास्थ्य लाभ के लिए दार्जिलिंग चले गए। उनके स्वास्थ्य का हाल जानने महात्मा गांधी भी दार्जिलिंग गए। 16 जून 1925 को देशबंधु का निधन हो गया। उनकी अंतिम यात्रा कलकत्ता में निकाली गयी जिसका नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया। यहां गांधीजी के उद्गार थे- ‘देशबंधु एक महान आत्मा थे, उन्होंने एक ही सपना देखा-आजाद भारत का सपना।’ देशबंधु के निधन पर गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर ने लिखा-
एनेछिले साथे करे मृत्युहीन प्रान
मरने ताहाय तुमी करे गेले दान।
अपने निधन से कुछ समय पहले ही देशबंधु ने अपना घर और सारी सम्पत्ति राष्ट्र के नाम कर दी थी। जिस घर में वे रहते थे,वहां अब चितरंजन दास राष्ट्रीय कैंसर संस्थान है। जबकि दार्जिलिंग वाला निवास मातृ एवं शिशु संरक्षण केंद्र के रूप में विकसित किया गया है। दिल्ली के सीआर पार्क का नाम भी देशबंधु चितरंजन दास के नाम पर ही रखा गया है। देश के कई जाने-माने संस्थान भी उनके नाम से जाने जाते हैं।
अन्य अहम घटनाएंः
1911ः न्यूयॉर्क में आईबीएम कंपनी की स्थापना। पूर्व में इसका नाम कंप्यूटिंग टैब्यूलेटिंग रिकॉर्डिंग कंपनी था।
1963ः रूस की 26 वर्षीय अंतरिक्ष यात्री लेफ्टिनेंट वैलेनटीना तेरेशकोवा ने वोस्तोक-6 के जरिये अंतरिक्ष में उड़ान भरी जो विश्व की पहली महिला बनीं।
साभार – हिस

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