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ओडिशा उपचुनाव में भाजपा हारी, बीजद ने मारी बाजी

  • तिर्तोल और बालेश्वर सदर उपचुनाव में बीजद प्रत्याशियों के सिर चढ़ा ताज

  • नवीन पटनायक ने फिर दिखाया अपना दम

  • बालेश्वर से 13 हजार व तिर्तोल से 40 हजार से अधिक मतों से दी शिकस्त

भुवनेश्वर/बालेश्वर. भारतीय जनता पार्टी को बिहार विधानसभा चुनाव व देशभर में उपचुनाव में जहां अच्छी सफलता मिली, वहीं ओडिशा में करारी हार मिली है. बीजू जनता दल ने शंखनाद किया है और भाजपा का कमल मुरझा गया. नवीन पटनायक ने फिर से एक बार प्रमाणित कर दिया है ओडिशा में अब भी वह वही दमखम रखते हैं. राज्य में तिर्तोल व बालेश्वर के दोनों विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव में बीजद प्रत्याशियों ने बाजी मारी है. सबसे बड़ी बात यह है कि तिर्तोल सीट तो बीजद के पास थी, लेकिन बालेश्वर की सीट बीजद ने भाजपा से छिन ली है. बालेश्वर की सीट को भाजपा से छिन लेने को बीजद की बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. बालेश्वर में 26 राउंड के गिनती के बाद बीजद प्रत्याशी स्वरुप दास ने भाजपा प्रत्याशी मानस दत्त को लगभग 13 हजार से अधिक मतों से पराजित किया.

बीजद प्रत्याशी स्वरूप दास को 83, 235 वोट हासिल हुए हैं, जबकि भाजपा प्रत्याशी को 69,908 वोट हासिल हुए हैं. कांग्रेस की प्रत्याशी ममता कुंडु को 4901 वोट हासिल हुए. इसी तरह अपनी पारंपारिक सीट तिर्तोल में भी बीजद ने विजय प्राप्त की. इस सीट पर 29 राउंड की गिनती के बाद बीजद प्रत्याशी विजय शंकर दास अपने निकटतम प्रत्याशी भाजपा के राजकिशोर बेहरा से 40 हजार मतों से जीत गये थे, लेकिन आधिकारिक घोषणा नहीं हुई थी. बीजद प्रत्याशी विजय शंकर दास को जहां 86797 वोट हासिल हुए हैं, वहीं भाजपा प्रत्याशी राजकिशोर बेहरा को 46100 वोट हासिल हुए हैं. उल्लेखनीय है कि बालेश्वर के भाजपा विधायक मदन मोहन दत्त के निधन के बाद उप चुनाव हुआ. इस सीट पर भाजपा ने दत्त के बेटे मानस दत्त को उम्मीदवार बनाया. इसी तरह तिर्तोल से बीजद के विधायक विष्णु दास के निधन के बाद उपचुनाव हुआ. बीजद ने इस सीट पर विष्णु दास के बेटे विजय कुमार दास को टिकट दिया था. इस चुनाव की खास बात यह रही है कि बीजद के मुखिया तथा मुख्यमंत्री नवीन पटनायक दोनों सीटों में कहीं भी चुनाव प्रचार के लिए नहीं गये थे. उन्होंने केवल वर्चुअल माध्यम से रैली को संबोधित किया था.

चाक-चौबंद रही सुरक्षा व्यवस्था

मतगणना को लेकर मतगणना केंद्र के साथ-साथ शहर के आस-पास के कई इलाकों को सुरक्षा के घेरे में रखा गया था. काफी संख्या में पुलिसबलों की तैनाती की गयी थी. जिले के लगभग सभी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी, ताकि मतगणना और इसके बाद संभावित तनाव को सृजित होने से रोका जा सके.

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