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पाकिस्तान की राह चला मित्र भूटान?

  • भूटान की सभ्याता अपनाना हुआ अनिवार्य

  • हिन्दू विरोधी अधिनियम “ ड्रिगलाम नामजा” से प्रवासी भारतियों की मुश्किलें बढ़ीं

  • भूटानी सरकारी कार्यालयों में भारतीय पोशाक और टीका लगाकर जाने पर रोक

  • धार्मिक आयोजनों का प्रचार-प्रसार भी है प्रतिबंधित

  • सीमावर्ती क्षेत्रों के पड़ोसियों के बीच दूरी बनने की संभावनाएं

राजेश शर्मा, जयगांव (भूटान सीमा से)

क्या हमारा पड़ोसी राष्ट्र भूटान भी पाकिस्तान की राह चल पड़ रहा है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि पाकिस्तान की तरह भूटान में भी हिन्दू विरोधी अधिनियम“ ड्रिगलाम नामजा” से प्रवासी भारतियों की मुश्किलें बढ़ीं हैं. इस अधिनियम ने भूटान में हिन्दुओं की धार्मिक मौलिक अधिकारों पर हमला बोल रहा है.

सूत्रों के अनुसार, इस अधिनियम के तहत कहा गया है कि जितने लोग भूटान में रहते हैं, उनको भूटानी सभ्यता को मानना होगा. इसके तहत भूटान में रहने वाले हिन्दुओं को हिन्दू सभ्यता के अनुसार नवरात्रि पूजन, काली पूजन समेत विभिन्न पूजाओं पर रोक लगा दी गयी है. पड़ोसी देश की पारंपरिक पोशाक ही पहनने की अनुमति है, खासकर सरकारी कार्यालयों में जाने पर. हिन्दू धर्मों से संबंधित पर्वों के प्रचार-प्रसार पर रोक लगा दी गयी है. साथ ही भारतीय पारंपरा के अनुसार टीका लगाने पर भी पाबंदी है. कोई भी भारतीय नागरिक टीका लगाकर भूटानी सरकारी कार्यालयों में नहीं जा सकता है.

उल्लेखनीय है कि भारत एवं भूटान के बीच मैत्री संधि आठ फरवरी 1949 को पहली बार हुई थी. इसके बाद दो मार्च 2007 से उसको संशोधित किया गया. इससे तहत दोनों देशों की मित्रता में घनिष्ठता आयी. दोनों देशों के आपसी संबंधों में मधुरता कायम करने के लिए तैयार की गई संधि का पूर्ण रुप से भारत पालन कर रहा है, लेकिन भूटान की ओर से उसकी अनदेखी की जा रही है. इससे दोनों देशों की आपसी संबंधों में मतभेद के संकेत दिखाई देने लगे हैं, क्योंकि भूटान ने हिंदू विरोधी नियम सन् 1990 से लागू किया है. वहां “ डिकलम लामजा” नामक एक नियम बनाया गया.

इसके तहत भूटान में रहने वाले हिंदू धर्म मानने वाले लोगों की धार्मिक गतिविधियों पर लगाम लगा दी गयी है, जिससे भूटान में हिंदू परंपरा के खिलाफ कूटनीतिक योजना बढ़ रही है. इसका सीधा असर सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों के बीच सदभाव पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि दोनों देशों के लोग कई पर्वों में एक-दूसरे से मिलकर बधाइयां एवं शुभकामनाएं देते थे, लेकिन लोगों के बीच भूटानी नियमों के क्रियान्वयन में बड़ी सक्रियता से संसय बन गया है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा होने के वजह से कोई भी स्थानीय व्यक्ति और अधिकारी बोलने के लिए तैयार नहीं हैं.

भारतीय व्यापार पर पड़ेगा असर

भूटान में हिंदुओं पर लगायी गयी पाबंदी से संबंधित समानों के व्यापार पर भी असर पड़ेगा. इससे सीमावर्ती क्षेत्रों के व्यापारियों में चिंता छा गयी है. भारत-भूटान के बीच बिना रोकटोक आने-जाने की छूट है. इसलिए भूटान में रहने वाले लोग जरूरत के समय सामानों की खरीदारी करने के लिए भारतीय सीमा जयगांव आते थे, लेकिन इसका असर देखने को मिल रहा है. स्थानीय व्यापारियों ने भारत सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है.

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