पन्ना। बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश एवं मप्र की राजनीति में अहम स्थान रखता है, लेकिन विकास के मामले में स्थिति उलटी है। यहां अधिकांश जनप्रतिनिधियों ने क्षेत्र के विकास के बजाय अपनों एवं अपने चहेतों के विकास पर ध्यान दिया है। ऐसे में बुंदेलखंड चाहे मप्र का हिस्सा हो या फिर उत्तर प्रदेश का क्षेत्र, हर बार चुनाव के केंद्र में रहता है। मप्र में विधानसभा चुनाव है, इसलिए एक बार फिर बुंदेलखंड राजनीति अखाड़ा बनता जा रहा है।
दोनों प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा अनुसूचित वर्ग को जोड़कर अपने-अपने प्रयास किये गये हैं इन आयोजनों के जरिए दोनों दलों के निशाने पर बुंदेलखंड का अनुसूचित वर्ग रहा है, क्योंकि बुंदेलखंड के 6 जिलों की 26 विधानसभा सीटों में से 6 सीट इस वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इनमें से 5 सीट सत्तारूढ़ दल भाजपा के पास हैं। ये सीटें भाजपा ने 2018 के विधानसभा चुनाव में ही जीती थीं। हालांकि 2003 से लेकर 2018 तक के विधानसभा चुनावों के आंकड़े देखें तो बुंदेलखंड भाजपा का गढ़ रहा है। अगले विधानसभा चुनाव के चलते कांग्रेस भाजपा के इस गढ़ में सेंध लगाने की कोशिशें करने में लगी है, जो फिलहाल नाकाम दिखाई दे रही है।
मप्र के बुंदेलखंड में सागर संभाग के 6 जिले सागर, दमोह, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़ और निवाड़ी आते हैं। इन जिलों में 26 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 6 विधानसभा सीट- सागर जिले की बीना और नरियावली, दमोह जिले की हटा, पन्ना जिले की गुन्नौर, छतरपुर जिले की चंदला और टीकमगढ़ जिले की जतारा अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं। मौजूदा स्थिति में इन आरक्षित विधानसभा सीटों में से गुन्नौर कांग्रेस के पास है, यहां से शिवदयाल बागरी कांग्रेस विधायक हैं।
दो जिलों में कांग्रेस की एक भी सीट नहीं
टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले में कांग्रेस के पास एक भी विधानसभा सीट नहीं है, जबकि छतरपुर में 6 सीटों में से 3 कांग्रेस के पास हैं और 2 भाजपा के पास हैं, जबकि बिजावर सीट सपा के पास है। बिजावर विधायक राकेश शुक्ला भाजपा में शामिल हो चुके हैं। विधानसभा रिकॉर्ड के अनुसार वे अभी सपा के ही विधायक हैं। पन्ना जिले में 3 सीटों में से 2 भाजपा और 1 कांग्रेस के पास है। इसी तरह दमोह में 4 सीटों में से 2 भाजपा और 1-1 सीट कांग्रेस और बसपा के पास है, जबकि सागर जिले की 8 सीटों में से 6 भाजपा और 2 कांग्रेस के पास हैं।
बुंदेलखंड से सरकार में 4 मंत्री
शिवराज सरकार में बुंदेलखंड से 4 कैबिनेट मंत्री हैं। इनमें से तीन मंत्री गोपाल भार्गव, भूपेन्द्र सिंह और गोविंद सिंह राजपूत सागर जिले से हैं। गोविंद सिंह राजपूत कमलनाथ सरकार में भी मंत्री थे। 2020 में भाजपा में शामिल होने के बाद वे शिवराज सरकार में फिर मंत्री बन गए। जबकि चौथे मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह हैं जो पन्ना जिले से हैं।
20 साल से भाजपा दबदबा
2003 से लेकर अब तक मप्र में विधानसभा के चार चुनाव हुए हैं। चारों चुनावों में बुंदेलखंड क्षेत्र में भाजपा को जबर्दस्त सीटें मिली हैं। 2008 के परिसीमन से पहले तक बुंदेलखंड क्षेत्र में 24 विधानसभा सीटें आती थीं। 2004 के चुनाव में 24 सीटों में से भाजपा ने 20 सीटें जीतकर रिकॉर्ड बनाया था। तब कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को दो-दो सीटें मिली थीं। 2008 के चुनाव में भाजपा को 17 और कांग्रेस को 7 सीटें मिलीं थी। जबकि दो सीटें अन्य को मिली थीं। 2013 के चुनाव में भाजपा की जीत का आंकड़ा और बढ़ गया। भाजपा को फिर से 20 सीटें मिली और कांग्रेस 6 पर सिमट गई। 2018 के चुनाव में भाजपा को फिर 17 व कांग्रेस को 7 सीटें मिलीं। जबकि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को भी 1-1 सीट मिलीं।