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यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात में सबसे तेज वृद्धि
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इलेक्ट्रिक वाहन की कुछ प्रमुख श्रेणियां पहले से लागत-प्रतिस्पर्धी
नई दिल्ली। देश में वाहनों की संख्या वर्ष 2023 की 22.6 करोड़ से दोगुनी होकर साल 2050 तक लगभग 50 करोड़ हो जाएगी। ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (सीईईडब्ल्यू) के अध्ययन में यह दावा किया गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक इसमें दोपहिया वाहनों की हिस्सेदारी 70 फीसदी होगी, जो 35 करोड़ से अधिक पहुंच जाएगी। वहीं, निजी कारें लगभग 3 गुना बढ़कर 9 करोड़ तक पहुंच सकती हैं।
सीईईडब्ल्यू की ओर से मंगलवार को जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक वाहनों की संख्या में वृद्धि भीड़-भाड़, प्रदूषण और अपर्याप्त बुनियादी ढांचे से जूझ रहे शहरों पर अतिरिक्त दबाव डालेगी। सीईईडब्ल्यू का अध्ययन भारत की वाहन संख्या, कुल स्वामित्व लागत और परिवहन ईंधन मांग के बारे में अपनी तरह का पहला जिला-स्तरीय अनुमान उपलब्ध कराते हैं।
इस राज्य में सबसे ज्यादा बढ़ेगी वाहनों की संख्या
सीईईडब्ल्यू की शोध के अनुमान के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 9 करोड़ से अधिक वाहन होंगे, जबकि बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात में वृद्धि देखने को मिलेगी। दूसरी तरफ जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट के कारण दक्षिणी राज्यों में स्थिरता नजर आएगी। दिल्ली, बेंगलुरु, पुणे, थाने और अहमदाबाद जैसे शहरी और अर्ध-शहरी इलाके प्रमुख वाहन केंद्र बने रहेंगे, जिनका अनुमानित कुल वाहन स्टॉक में सामूहिक रूप से लगभग 10 फीसदी हिस्सा होगा।
इलेक्ट्रिक वाहनों की स्वामित्व लागत का खुलासा
सीईईडब्ल्यू के इन अध्ययनों में पाया गया है कि इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) की पहले से ही कुछ प्रमुख श्रेणियां, विशेष रूप से दोपहिया और तिपहिया वाहन, टैक्सी और निजी कारें लागत प्रतिस्पर्धी हैं, जिन राज्यों में ईवी पॉलिसी का समर्थन पहले से मौजूद है। यह शोध भारत के वाहन स्टॉक, स्वामित्व लागत और परिवहन ईंधन मांग के जिला स्तरीय अनुमान को प्रदान करता है।
अध्ययन रिपोर्ट में पाया गया है कि इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया वाहन पेट्रोल मॉडल्स की तुलना में बहुत कम परिचालन लागत प्रदान करते हैं। इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन के लिए स्वामित्व की कुल लागत (टीसीओ) पहले से ही बहुत कम है। पेट्रोल मॉडल के लिए टीसीओ 2.46 रुपये प्रति किलोमीटर है, जबकि इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए टीसीओ 1.48 रुपये प्रति किमी है। तिपहिया वाहन श्रेणी में ईवी आगे है, जिसका टीसीओ 1.28 रुपये प्रति किमी है, जबकि पेट्रोल तिपहिया वाहनों के लिए टीसीओ 3.21 रुपये प्रति किमी है।
सीईईडब्ल्यू के फेलो हेमंत मल्या ने कहा, “भारत का सड़क परिवहन सिस्टम निर्णायक दौर में प्रवेश कर रहा है। उन्होंने कहा कि परिवहन क्षेत्र में बदलाव से जुड़े फैसले सीधे तौर पर ईंधन आपूर्तिकर्ताओं और वाहन निर्माताओं को प्रभावित करते हैं। माल्या ने बताया कि जिलास्तरीय दृष्टिकोण के साथ कुल लागत विश्लेषण और ईंधन की मांग का अनुमान, नीति निर्माताओं और औद्योगिक नेतृत्व को स्वच्छ ईंधन, ज्यादा कुशल बुनियादी ढांचे, त्वरित इलेक्ट्रिफिकेशन और सतत परिवहन की दिशा में बदलाव की योजना बनाने के लिए महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराता है।
वहीं, डॉ. हिमानी जैन सीनियर प्रोग्राम लीड सीईईडब्ल्यू ने कहा, “भारत का परिवहन क्षेत्र त्रिकोणीय समस्याओं ऊर्जा सुरक्षा, भीड़-भाड़ और उत्सर्जन का सामना कर रहा है। जनसंख्या विस्तार और उपभोग के तरीके में बदलाव के साथ यात्री परिवहन और माल ढुलाई की मांग में वृद्धि होगी। सीईईडब्ल्यू के अध्ययन बताते हैं कि सामान्य परिस्थिति परिदृश्य में भारत को वाहनों की संख्या, ईंधन उपयोग और उत्सर्जन में गैर-सतत वृद्धि का सामना करना पड़ेगा।
सीईईडब्ल्यू के अध्ययन भारत के सड़क परिवहन के भविष्य को आकार देने और इसे अधिक सतत बनाने के लिए कई लक्षित कदमों का सुझाव देते हैं। स्वच्छ परिवहन की दिशा में बदलाव को तेज करने के लिए भारत को अलग-अलग वाहनों से जुड़े आंकड़ों को विशेष रूप से वाहन (VAHAN) पोर्टल के माध्यम से मजबूत करना चाहिए और जिला-स्तरीय सूचना में कमी को दूर करना चाहिए।
साभार – हिस