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भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के विभाग ने चेन्नई में क्षेत्रीय कार्यशाला का आयोजन किया

नई दिल्ली। भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के विभाग ने चेन्नई में “दक्षिणी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों में उपभोक्ता संरक्षण” पर महत्वपूर्ण क्षेत्रीय कार्यशाला आयोजित की। कार्यक्रम का उद्देश्य उपभोक्ता शिकायत निवारण तंत्र को बढ़ाना और पूरे क्षेत्र में संस्थागत दक्षता में सुधार करना था।
उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने शनिवार को जारी बयान में बताया कि 13 जून को अयोजित इस कार्यक्रम की मुख्य वक्ता विभाग की सचिव निधि खरे ने उपभोक्ता मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए आधुनिक कानूनी ढांचे और डिजिटल उपकरणों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। इसके साथ ही उन्‍होंने उपभोक्ता शिकायतों से निपटने में उनके सराहनीय प्रदर्शन के लिए दक्षिणी राज्यों की प्रशंसा भी की।
निधि खरे ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि डिजिटल युग में अनुकूल कानूनी और डिजिटल तंत्र की आवश्यकता है। उन्होंने राइट टू रिपेयर पोर्टल, ई-जागृति और राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन को मजबूत बनाने जैसी पहलों के महत्व को रेखांकित किया। यह मुकदमेबाजी से पहले उपभोक्ता शिकायतों के निवारण का त्वरित, परेशानी मुक्त और सस्ता तरीका है।
उन्होंने ने बताया कि 2025 में राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर 5.41 लाख शिकायतें प्राप्त हुईं। इनमें से 23 फीसदी दक्षिणी राज्यों से थीं, जो मजबूत क्षेत्रीय भागीदारी को दर्शाता है। राष्ट्रीय स्तर पर दर्ज 28.54 लाख मामलों में से केवल 5.62 लाख मामले लंबित हैं जिनमें दक्षिणी राज्यों का हिस्सा केवल 13.34 फीसदी है। उन्होंने दक्षिणी क्षेत्र के प्रदर्शन की सराहना की और कहा कि कर्नाटक और केरल आयोगों ने दर्ज मामलों की तुलना में अधिक मामलों का निपटारा किया और कई जिला आयोगों ने लगातार तीन वर्षों तक 100 फीसदी से अधिक मामले निपटाए। वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से 11,900 से अधिक मामलों की सुनवाई की गई।
इसके अलावा भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग के अपर सचिव भरत खेड़ा ने नैतिक व्यापार में भारत की ऐतिहासिक जड़ों और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के परिवर्तनकारी प्रभाव के बारे में बताया। तमिलनाडु सरकार के सहकारिता, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के प्रधान सचिव थिरु सत्यब्रत साहू ने उपभोक्ता संरक्षण संस्थानों को मजबूत करने के लिए क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण की आवश्यकता पर बल दिया और न्याय सुनिश्चित करने में नीति निर्माताओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।
बैठक में मंत्रालय के अधिकारियों, राज्य आयोगों के सदस्यों, जिला आयोगों के अध्यक्षों, जिला आयोगों के सदस्यों और दक्षिणी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, जिसमें कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, लक्षद्वीप, पुडुचेरी और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। इसमें इस क्षेत्र के स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों की भी उपस्थिति रही।
साभार – हिस

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